Kundli Ke 12 Bhavo Mai Shukra Ka prahbav, जानिए कुंडली के अलग-अलग भावों में शुक्र का शुभ और अशुभ प्रभाव, द्वादश भाव में शुक्र का फल, Shukra Grah Ka Kundli ke 12 Bhavo mai Prabhav |
वैदिक ज्योतिष में सूर्य को राजा, मंगल को सेनापति, बुध को युवराज, बृहस्पति को गुरु और शुक्र को सुख,संपदा और ऐश्वर्य का कारक ग्रह के रूप में माना जाता है |
जन्म कुंडली में शुक्र ग्रह वृषभ और तुला राशि के स्वामी हैं | कुंडली में shukra grah मीन राशि में उच्च के होते हैं और कन्या राशि में नीच के होते हैं | इसे सूर्य की परिक्रमा करने में लगभग 225 दिन का समय लगता है |
किसी भी कुंडली में shukra की शुभ और अशुभ अवस्था जीवन में बड़े बदलाव लेके आती है | जन्म पत्रिका में शुभ और शक्तिशाली शुक्र जातक को समस्त सुख प्रदान करता है, प्रेम जीवन में सफल बनाता है, सम्मोहक व्यक्तित्त्व देता है, सफलता प्रदान करता है तो वहीँ अशुभ शुक्र के कारण जातक को संबंधो में परेशानी आती है, समाज में अलग नाम करने में परेशानी आती है, सांसारिक सुखो को भोगने में संघर्ष करना पड़ता है |
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Shukra Grah Ka Kundli ke 12 Bhavo mai Prabhav |
वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह :
Shukra ग्रह को अंग्रेजी में Venus कहा जाता है वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में शुक्र ग्रह प्रेम, रोमांस, सौंदर्य, सम्मोहक व्यक्तित्त्व, दोस्तों, जीवनसाथी, कला, विपरीत लिंग के साथ सम्बन्ध, सुख, सम्पदा आदि से जुड़ा हुआ है |
अंक ज्योतिष के अनुसार शुक्र ग्रह का अंक 6 होता है |
Read in English about Impacts of Venus in 12 Houses In Horoscope
शुक्र ग्रह का सम्बन्ध किन रोगों से होता है ?(Venus Related Diseases):
ख़राब या कमजोर शुक्र ग्रह के कारण बहुत से रोग हो सकते हैं जैसे वीर्य दोष, प्रमेह, शुगर, मूत्र दोष, गुप्त रोग, स्वप्न-दोष, त्वचा रोग, अंगूठे में परेशानी, नाक से सम्बंधित परेशानी, कामेच्छा में कमी, अंतड़ियों के रोग, गुर्दे से सम्बंधित रोग, आदि ।
आइये अब जानते हैं कुंडली के 12 भावों में शुक्र ग्रह का क्या प्रभाव होता है ?
जन्म कुंडली के प्रथम भाव में शुक्र का क्या प्रभाव होता है ?
वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली के पहले भाव में शुभ और शक्तिशाली Shukra के होने से जातक साफ़ सुथरा रहने वाला होता है, सौंदर्य प्रेमी होता है, जातक के व्यक्तित्त्व में एक सम्मोहन होता है, धन की कमी नहीं होती है, ऐसे लोग कला प्रेमी होते हैं और वाणी भी बहुत मधुर होती है |
कुंडली के पहले भाव में अशुभ या कमजोर शुक्र के कारण जातक को अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जातक को सुख सुविधा के लिए तरसना पड़ सकता है, समाज में सम्बन्ध बनाने में परेशानी आ सकती है, जातक अपने गलत निर्णयों के कारण जीवन में परेशानी उठाता है |
जन्म कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र का क्या प्रभाव होता है ?
जन्म कुंडली के द्वितीय भाव में शुभ और शक्तिशाली Shukra के होने से जातक संपन्न होता है, कला क्षेत्र से जुड़कर कमाई कर सकता है, नाम और यश प्राप्त कर सकता है, जातक का जीवन साथी भी बुद्धिमान होता है| जातक बोलने की कला में चतुर होता है |
जन्म पत्रिका के द्वितीय भाव में अशुभ या कमजोर शुक्र होने पर जातक को अपने निर्णयो के कारण धन हानि होती है | जीवनसाथी के स्वास्थ्य के ऊपर बहुत खर्चा हो सकता है | ऐसे लोगों में धैर्य और संयम की कमी देखी जाती है जिसके कारण जीवन में बहुत परेशानी का सामना करना होता है |
जन्म कुंडली के तीसरे भाव में शुक्र का क्या प्रभाव होता है ?
जन्म कुंडली के तीसरे भाव में अगर शुभ और शक्तिशाली SHUKRA हो तो जातक को पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है, जातक घुमने का शौक़ीन होता है, अपने हंसमुख व्यक्तित्त्व के कारण समाज में अलग ही नाम करता है | भाई बहनों के सहयोग से जीवन में बहुत से काम बनते हैं | ऐसे लोग कॉल सेण्टर के काम में सफल होते देखे गए हैं, ऑनलाइन कार्यो में सफल होते देखे गए हैं | विवाह के बाद जीवनसाथी के भाग्य से भी ऐसे लोग बहुत तरक्की करते हैं |
जन्म पत्रिका के तीसरे भाव में अशुभ या कमजोर शुक्र जातक के जीवन में सघर्ष बढाता है, जातक अपनी योग्यता का सही स्तेमाल नहीं कर पाता है जिससे अवसाद की समस्या उत्पन्न होती है | पारिवारिक सुखो में कमी होती है, अनावश्यक यात्राओं में जातक बहुत परेशान होता है | ससुराल पक्ष के साथ सम्बन्ध ख़राब हो सकते हैं |
जन्म कुंडली के चौथे भाव में शुक्र का क्या प्रभाव होता है ?
जन्म कुंडली के चौथे भाव में अगर शुभ और शक्तिशाली SHUKRA जातका को हर प्रकार के ऐशो आराम दिलाता है, कार्य स्थल पे ऐसे लोगो को अलग ही पहचान मिलती है | कला जगत से जुड़कर कमाई करने के योग भी बनते हैं,
जन्म पत्रिका के चौथे भाव में अशुभ या कमजोर शुक्र के कारण जातक को पारिवारिक विवाद का सामना करना पड़ सकता है, जातक की संतान अनैतिक कार्यो में संलग्न हो सकती है, जीवन साथी के साथ सम्बन्ध बिगड़ते हैं |
जन्म कुंडली के पांचवे भाव में शुक्र का क्या फल होता है ?
जन्म कुंडली के पंचम भाव अगर शुभ और शक्तिशाली SHUKRA बैठ जाए तो जातक उदार होता है, प्रेम संबंधो में सफल होता है, जातक को संतान से सुख प्राप्त होता है, कला जगत से जुड़कर जातक बहुत धन कमा सकता है | ऐसे लोग इवेंट मैनेजमेंट से जुड़कर भी बहुत अच्छा नाम और धन कमा सकते हैं |
जन्म कुंडली के पांचवे भाव में अशुभ या कमजोर शुक्र जातक के जीवन में अनेक प्रकार की परेशानियों को जन्म देता है, जातक प्रेम के मामलो में बदकिस्मत रहता है, विपरीत लिंग के कारण जीवन में बहुत नुकसान उठाता है, जातक को अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए बहुत मेहनत करना होती है |
जन्म कुंडली के छठे भाव में शुक्र का क्या फल होता है ?
जन्म कुंडली के छठे भाव में अगर शुभ और शक्तिशाली SHUKRA हो तो जातक को मामा परिवार से लाभ मिलता है, जातक अपने शौक पर बहुत ज्यादा खर्चा करता है | संतान मधुरभाषी होती है| जीवनसाथी बहुत खर्चा करने वाला होता है |
जन्म पत्रिका के छठे भाव में अशुभ या कमजोर शुक्र जातक को अनैतिक कार्यो की और धकेलता है, कर्जा में फंसा सकता है, गुप्त रोग से ग्रस्त कर सकता है |
जन्म कुंडली के सप्तम भाव में शुक्र का क्या फल होता है ?
अगर जन्म पत्रिका के सप्तम भाव में शुभ और शक्तिशाली SHUKRA मौजूद हो तो जातक के संपर्क बहुत होते हैं देश और दुनिया में, ऐसे लोग व्यापार में अच्छा मुनाफा कमाते हैं, अच्छा जीवनसाथी प्राप्त होता है, धन की कमी नहीं रहती है |
जन्म कुंडली के सातवें भाव में अशुभ या कमजोर शुक्र जातक को गलत लोगो से दोस्ती करवाता है जिसके कारण धन, समय और इज्जत बर्बाद होती है | जातक को पेट से समबन्धित बिमारी रहती है | व्यापार में हानि उठानी पड़ती है |
जन्म कुंडली के अष्टम भाव में शुक्र का क्या फल होता है ?
अगर जन्म पत्रिका के अष्टम भाव में शुभ और शक्तिशाली SHUKRA हो तो जातक अपने अद्भुत प्रतिभा के कारण नाम और यश प्राप्त करता है, देश विदेश में यात्राएं करने के योग बने रहते हैं, ऐसे लोग रहस्यमय तरीके से समाज में अलग अलग लोगो से सम्बन्ध रखते हैं जिसका फायदा इन्हें मिलता रहता है |
जन्म कुंडली के अष्टम भाव में अशुभ या कमजोर शुक्र जातक को गुप्त रोग दे सकता है, वीर्य की कमी हो सकती है, व्यक्ति आलसी हो सकता है, घुमने फिरने और अनैतिक क्रियाओं में धन बर्बाद होता है |
जन्म कुंडली के नवम भाव में गुरु का क्या फल होता है ?
अगर जन्म पत्रिका के नवम भाव में शुभ और शक्तिशाली SHUKRA हो तो जातक सकारात्मक उर्जा से भरपूर रहते हैं, भाग्यशाली होते हैं, ऐसे लोगो की महत्त्वकांक्षाएँ बहुत ज्यादा होती है | अपने लक्ष्य के प्रति बहुत जनूनी होते हैं | बोलने की कला में माहिर होते हैं | कुछ न कुछ सीखते रहना इनकी आदत होती है |
जन्म कुंडली के नवम भाव में अशुभ या कमजोर शुक्र के होने से जातक को भाग्य का साथ नहीं मिलता है, साली से सम्बन्ध ख़राब हो सकते हैं, जातक अपनी विद्या का गलत तरीके से प्रयोग करके नाम और यश प्राप्त करने की कोशिश करता है |
जन्म कुंडली के दशम भाव में शुक्र का क्या फल होता है ?
अगर जन्म पत्रिका के दशम भाव में शुभ और शक्तिशाली SHUKRA हो तो जातक अपनी माता की कृपा से सुखो को प्राप्त करता है, जातक का व्यक्तित्त्व सम्मोहक होता है, कूटनीति बनाने में माहिर होता है, ऐसे लोग परिवार में भी प्रिय होते हैं |
जन्म कुंडली के दशम भाव में अशुभ या कमजोर शुक्र जातक को अनावश्यक जिम्मेदारियों में फंसा देता है, जातक के पारिवारिक सुखो में कमी रहती है, ऐसे लोग जीवन भर अपनी और अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए मेहनत करते रह जाते हैं |
जन्म कुंडली के एकादश भाव में शुक्र का क्या फल होता है ?
अगर जन्म पत्रिका के ग्यारहवें भाव में शुभ और शक्तिशाली SHUKRA हो तो जातक में बहुमुखी प्रतिभा होती है, जातक के एक से अधिक आय के स्त्रोत होते हैं, कला प्रेमी होते हैं, संतान सुख प्राप्त करते हैं, जीवन में धन की कमी नहीं रहती है, बड़ी बहन हो तो उनके सहयोग से जीवन में काफी उन्नति कर सकते हैं |
जन्म कुंडली के बारहवें भाव में अशुभ या कमजोर शुक्र जातक को अपनी विद्या का सही तरीके से स्तेमाल नहीं करने देता है | जातक अपनी नाकामियों के कारण अवसाद में रह सकता है | आय से अधिक खर्चे होते हैं | शेयर बाजार या सट्टा बाजार से ऐसे लोग को बहुत नुकसान हो सकता है |
जन्म कुंडली के बारहवें भाव में शुक्र का क्या फल होता है ?
अगर जन्म पत्रिका के बारहवें भाव में शुभ और शक्तिशाली SHUKRA हो तो जातक जीवन का आनंद लेता है, दोस्तों, जीवनसाथी के साथ खूब मस्ती मजे करता है | देश विदेश की यात्राएं करता है | जातक बहुत शौक़ीन होता है और खूब धन व्यय करता है |
कुंडली के बारहवें भाव में अशुभ या कमजोर शुक्र के कारण जातक तनावग्रस्त रहता है, विपरीत लिंग के कारण खूब धन बर्बाद होता है, अनैतिक लोगो से सम्बन्ध के कारण भी खूब धन बर्बाद होता है| अशुभ शुक्र के कारण जातक को गुस्सा भी जल्दी आता है, कोई न कोई स्वास्थ्य समस्या परेशां करती रहती है |
तो इस प्रकार हमने जाना की 12 भावों में SHUKRA का क्या फल हो सकता है | अगर आप अपनी कुंडली से अपने भविष्य के बारे में जानना चाहते हैं तो ज्योतिष सेवा प्राप्त करें ऑनलाइन |
जानिए विवाह कब होगा, कैसा रहेगा जीवन साथी, कामकाज में उन्नति के लिए क्या करें, लव लाइफ में कैसे सफलता पायें, भाग्यशाली रत्न कौन सा है, कौन सी पूजा करनी चाहिए आदि |
अब आइये जानते हैं की ख़राब शुक्र के लिए कौन कौन से उपाय कर सकते हैं ?
- शुक्र ग्रह शांति पूजासमय समय पर करवाते रहना चाहिए |
- शुक्रवार का व्रत रखना शुरू करें और सफेद चीजों जैसे मोती, दूध, दही, चीनी का दान करें.
- घर की दक्षिण-पूर्व दिशा को कभी गंदा न रहने दे |
- किसी माता मंदिर में शुक्रवार को श्रृंगार का सामान दान करें |
- शुक्र गायत्री मंत्र का जप रोज करें |
- ॐ शुं शुक्राय नम: या ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः मंत्र का जाप करें और कोई भी शुक्र की वास्तु का दान करें शुक्रवार को |
- अगर शुक्र कुंडली में शुभ हो पर कमजोर हो तो अच्छे ज्योतिष को दिखा के हीरा, स्फटिक की माला या चांदी धारण करना चाहिए |
Kundli Ke 12 Bhavo Mai Shukra Ka prahbav, जानिए कुंडली के अलग-अलग भावों में शुक्र का शुभ और अशुभ प्रभाव, द्वादश भाव में शुक्र का फल, Shukra Grah Ka Kundli ke 12 Bhavo mai Prabhav |