मिथुन संक्रांति क्या है, क्या महत्त्व है मिथुन संक्रांति का, क्या करे पुण्य लाभ के लाभ के लिए, ज्योतिष से जानिए कुछ ख़ास उपाय.
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Mithun Sankranti Significance In Astrology |
मिथुन संक्रांति का महत्त्व:
जब मिथुन संक्रांति होती है हिन्दू पंचांग के हिसाब से तो भारत के गुवाहाटी में कामख्या मंदिर में एक ख़ास घटना घटती है, ये सिर्फ साल में एक बार होता है और पुरे विश्व से लोग यहाँ आते है इस चमत्कार को देखने के लिए.
मिथुन संक्रांति क्या है?
जब सूर्य वृषभ राशि से मिथुन में प्रवेश करता है तो उस समय को मिथुन संक्रांति कहते हैं. ज्योतिष के हिसाब से इस दिन के बाद अगले करीब ३१ दिन तक सूर्य मिथुन राशी में रहता है.
भारत के बहुत से भागो में इस दिन लोग भगवान् विष्णु की पूजा करते हैं. कई भागो में मानसून आ जाता है और लोग बारिश का भी आनंद लेते हैं.
मिथुन संक्रांति को लोग क्या करते हैं ?
- इस दिन लोग भगवान् विष्णु के साथ धरती माँ की पूजा करते हैं.
- लोग विभिन्न वस्तुओ का दान करते हैं जरुरतमंदो को पुण्य लाभ के लिए.
- सूर्य का सम्बन्ध पितरो से है अतः बहुत से लोग पितरो के उन्नति और उनसे आशीर्वाद के लिए प्रार्थनाये और पूजा करते हैं.
- इस दिन बहुत से लोग चावल नहीं खाते हैं.
मिथुन संक्रांति और अम्बुबाची मेला:
जब सूर्य मिथुन राशि में प्रवेश करता है तो उसके बाद कामख्या मंदिर में जो की गुवाहाटी में है में एक ख़ास मेला लगता है जिसे “अम्बुबाची मेला” कहते हैं. इस मेले में लोग विश्वभर से आते हैं. ऐसा कहा जाता है की साल में एक बार माता कामख्या रजस्वला होती है अतः इसीलिए कुछ दिनों के लिए मंदिर का पठ बंद रहता है और इन्ही दिनों मंदिर में मेला लगता है.
अतः मिथुन संक्रांति इसीलिए भी बहुत महत्त्व रखता है. इस समय बारिश की शुरुआत होती है, मौसम सुहाना होने लगता है, माता कामख्या के चमत्कार लोग देख पाते हैं.
तो आनंद लीजिये सूर्य के मिथुन राशी में प्रवेश का. बनाइये जीवन को खुशहाल.
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