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Motapa Kam Kare Jivan Shaili Apna Kar

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मोटापा कम करने हेतु जीवन शैली, टिप्स वेट लोस के लिए, कैसे जिए एक स्वस्थ जीवन.
motapa kaise kam kare sahi jivan se
Motapa Kam Kare Jivan Shaili Apna Kar
अगर आप मोटापा कम करने का प्रयास लम्बे समय से कर रहे है, अगर आप वाकई मे वसा कम करना चाहते हैं, अगर आप जानना चाहते है कुछ ऐसे आसान तरीके जो आपको दे सकता है एक स्वस्थ जीवन तो ये लेख आपको बताएगा वो तरीके. जानिए स्वस्थ जीवन जीने के तरीके.
अगर आप बहुत ज्यादा व्यायाम करके थक गए हैं, अगर आप बहुत दवाइयां लेके भी वजन कम नहीं कर पा रहे है, अगर आप बहुत ज्यादा काम कर रहे है वजन घटाने के लिए तो आपको आज से ही अपने जीवन शैली की तरफ ध्यान देना चाहिए. एक स्वस्थ जीवन शैली अपना कर हम सही मायने में अपना जीवन बदल सकते हैं.

जानिए कुछ आसान तरीके मोटापा कम करने के लिए :

  1. अच्छी नींद जरुर ले क्यूंकि नींद के अभाव में शारीर में थकान बनी रहती है, टेंशन, चिंता बढ़ जाती है जिसके कारण शारीर में वासा बढ़ने लगता है अतः ये जरुरी है की सही नींद और स्वस्थ नींद रोज ले.
  2. सलाहकार विटामिन डी लेने को भी कहते है क्यूंकि विटामिन डी लेप्टिन नमक हार्मोन को जागृत करता है जो की हमारे दिमाग में तृप्ति का भाव उत्पन्न करता है. इससे हम अधिक खाने से बचते हैं. 
  3. अपने ऊपर अलास्यता को हावी न होने दे. 
  4. भोजन में प्रोटीन को भी शामिल करे क्यूंकि इससे लम्बे समय तक भूख नहीं लगती है और हम ज्यादा खाने से बचते हैं.
  5. प्रातःकाल नाश्ते में अंकुरित को शामिल करे जो की शारीर को उर्जा देता है और भूख भी ज्यादा नहीं लगती है. 
  6. अपने जबान को फ़ास्ट फ़ूड, कोल्ड ड्रिंक की आदत ना लगने दे.
  7. अगर आप रोज कुछ समय चलते नहीं है तो आज ही शुरू करे चलना, चलना सबसे अच्छा व्यव्याम है जिससे हम पुरे शारीर को स्वस्थ रख सकते हैं. 
  8. एक्यूप्रेशर का इस्तेमाल भी आप कर सकते हैं वासा घटाने के लिए. 
  9. पुरे शारीर की मालिश अगर किया जाए नियम से तो भी बहुत जल्दी शारीर सुन्दर, सुदोल, स्वस्थ होता है और बना रहता है.
  10. ज्योतिष के अनुसार “रांगा की अंगूठी ” अगर धारण की जाए तो भी मोटापे को काबू किया जा सकता है. इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करे.
  11. नकारात्मकता को अपने ऊपर किसी भी कीमत पे हावी मत होने दीजिये क्यूंकि इससे अवसाद होता है, अवसाद से क्रोध होता है और ये सब शारीर में चर्बी बढ़ने मई मदद करते हैं, अतः नकारात्मकता से दूर रहे. 
  12. योग करे, डांस करे, बहरी खेल खेले, exercises करे जिससे अनावश्यक क्लोरी जल जाए और आप स्वस्थ और सुन्दर रहे. 
इस प्रकार कुछ आसान उपायों को अपना कर हम मोटापे को कम भी कर सकते हैं और इससे दूर भी रह सकते हैं, तो अच्छी जीवन शैली अपनाए और रहिये स्वस्थ और संपन्न.

किसी भी प्रकार के ज्योतिषीय सलाह के लिए आप संपर्क कर सकते हैं और जानिए क्यों समस्ये पीछा नहीं छोड़ रही है, क्या करे समस्या से निजात पाने के लिए, कैसे रहे स्वस्थ.



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Gola Khisakna Kya Hota Hai Aur Iska Ilaaj Kya Hai

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Kya Hota hai gola khisakna, nabhi hatne ka matlab kya hai, kaise thik kar sakte hain dharan ko, janiye kuch asaan tarike nabhi ko thik karne ke. 
Navel imbalance in hindi, nabhi khisakna aur uska ilaaj free
nabhi khisakna aur asaan ilaaj

साधारण शब्दों में नाभि खिसकना :

जब हम बात करते हैं शारीर के मध्य इस्थान का तब नाभि का ध्यान आता है, जब हम योग के सन्दर्भ में मनिपुरक चक्र की बात करते हैं तब हमे ध्यान आता है नाभि का, जब भी पेट में दर्द होता है तो ध्यान आता है नाभि का. अतः नाभि हमारे शारीर का एक महात्वपूर्ण अंग है, इसी नाभि को गोला या धारण भी कहते हैं. अंग्रेजी में नाभि को Navel कहते हैं.

ये वास्तव में एक संगम है जहाँ से नाड़ियाँ गुजरती हैं हर प्रकार की , अतः यहाँ पर जाल बना हुआ है नाड़ियों का, इन नाड़ियो को सहारा देने के लिए मांसपेशियां भी होती है और जब ये अपनी जगह से कभी खिसकती हैकिसी कारण से तो उसे कहते हैं “नाड़ी का खिसकना या गोला खिसकना या धरण ”. कभी ये बाएं खिसकता है, कभी ये दायें खिसकता है, कभी ऊपर और कभी निचे खिसकता है.

गोला खिसकने के कारण:

देखा जाए तो मूल में कमजोरी ही इसका कारण है जिसके कारण भरी काम करते हुए ऐसा होता है. 

  • नवजात शिशुओं में भी ये समस्या बहुत साधारण है.
  • खेलने, कूदने, दौड़ने, भारी सामान उठाने के समय भी नाभि पर जोर पड़ने से खिसक जाता है.
  • मैथुन करते हुए भी ऐसा कभी कभी हो जाता है.
  • महिलायें इससे ज्यादा परेशान रहती है कमजोरी के कारण .
  • अत्यधिक पेट में गैस बनने से भी ऐसा होता है.

क्या समस्याएं होती है नाभि खिसकने से ?

व्यक्ति जो नाभि खिसकने से परेशान है वो विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करते हैं जैसे......
  1. कब्ज के कारण परेशान रहना.
  2. दस्त लग जाना और कारण का पता न चलना.
  3. कमजोरी से शीघ्रपतन भी संभव होता है
  4. महिलाओं को मासिक समस्याएं आती है.
  5. घबराहट और उलटी भी होती है किसी किसी को.
  6. पीछे असहनीय दर्द होता है किसी को आदि
अलग अलग प्रकार के लोगो को अलग अलग समस्याओं से जूझना पड़ता है , यहाँ जरुरी है की समस्या को पहचान कर उसका इलाज जल्द से जल्द किया जाए.

कैसे बचाए नाभि को खिसकने से?

  • ज्यादा लम्बे समय तक खाली पेट न रहे.
  • मांस पेशिओं को मजबूत रखने के लिए व्यायाम करें.
  • अचानक से भारी सामान न उठायें.
  • प्राणायाम नियम से करे साथ ही जरुरी आसन सीख कर करे.
  • एक विशेष प्रकार की पाँव में पहनने की रिंग होती है उसे धारण करके भी इस समस्या से बचा जा सकता है. 
  • अपने पाचन को मजबूत बनाए रखने के उपाय करे.

अगर नाभि खिसक जाए तो क्या करे ?

गोला एक साधारण समस्या है परन्तु ये भी सत्य है की इसके लिए कोई दवाई नहीं है, अतः देशी तरीको का स्तेमाल आज भी कारगर है इसको ठीक करने के लिए. आइये जानते है कुछ आसान तरीके ---
  1.  निचे एक कम्बल बिछा के उलटा लेते और नाभि के निचे एक प्लास्टिक की बल रखे, ऐसा 5 मिनट करने से आराम होता है. 
  2. दोनों अंगूठो को पहले खींच के बराबर करे और उस पर कला धागा बाँध दे. 
  3. अगर आप बार बार इस समस्या से ग्रस्त हो रहे है तो पैर के अंगूठे में विशेष प्रकार के रिंग को प्राप्त करके उसे धारण करे. ये रिंग आपको यहाँ मिलेगा. अधिक जानकारी के लिए क्लिक करे.
  4. एक और तरीका भी इस्तेमाल किया जाता है जिसमे की नाभि के ऊपर वेक्यूम बनाके नसों को खीचा जाता है परन्तु अनुभवी के द्वारा करवाना चाहिए. 
  5. इसके अलावा रोज आसान प्राणायाम करना चाहिए. 
  6. इस समस्या में मत्स्यासन, चक्रासन, धनुरासन, उत्तानपादासन आदि लाभदायक होता है, किसी योग्य शिक्षक से सीख कर इन्हें करते रहना चाहिए. 
रखिये अपने नाभि को स्वस्थ और जी लीजिये अपने जीवन को मस्ती से. 
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Hariyali Amavasya Ka Mahattw

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हरियाली अमावस्या का महत्त्व, कौन सी पूजाएँ फायदा देती है हरियाली अमावस्या  को, जनिये सावन अमावस्या का महत्त्व, हरियाली अमावस और ज्योतिष.
सावन का महिना बहुत ख़ास होता है और इस महीने में पड़ने वाले अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहते हैं. ये दिन मानसून के महत्त्व को भी बताता है और हर तरफ हरियाली का प्रतिक है. हरियाली अमावस्या को इस दिन विशेषकर हिन्दू लोग अलग अलग प्रकार के कर्म काण्ड करते हैं जीवन को सफल बनाने के लिए. भक्त गण भगवान् शिव की विशेष पूजा अर्चना करते हैं श्रद्धा भक्ति से.
haryali amavasya ko kya kare jyotish ke hisab se
Hariyali Amavasya Ka Mahattw

आइये जानते हैं की हरियाली अमावस्या को किन किन नामो से जाना जाता है?

  • आन्ध्र प्रदेश में इसे “चुक्काला अमावस्या” के नाम से जाना जाता है.
  • महाराष्ट्र में इसे “गटारी अमावस्या” के नाम से जाना जाता है.
  • उड़ीसा में इसे “चिटालागी अमावस्या” के नाम से मनाया जाता है.
  • गुजरात में इसे “दिवसो”
  • के नाम से जाना जाता है.
  • कर्णाटक में इसे “भीमाना अमावस्या” के नाम से जानते हैं.

आइये जानते है हरियाली अमावस्या का महत्त्व:

ज्योतिष के हिसाब से अमावस को पितरो के लिए कर्म काण्ड होता है. ये दिन पितरो को समर्पित है. इस दिन लोग पितरो को प्रसन्न करने के लिए क्रियाएं करते हैं. भारत में कई जगह तो हरियाली अमावस को मनाने के लिए मेले भी लगते हैं.
कुछ ज्योतिष मानते हैं की इस दिन भगवान् शिव की पूजा से कालसर्प दोष के दुष्परिणाम कम होते हैं, ग्रहण योग का प्रभाव कम होता है, पितृ दोष का प्रभाव भी कम होता है.
हरियाली अमावस को लोग पितृ तर्पण करते हैं, दान करते हैं, पूजा करते हैं पितरो की उच्च गति के लिए और उनके आशीर्वाद के लिए.

यही नहीं विभिन्न प्रकार की अन्य पूजाएँ भी होती है हरियाली अमावस्या को :

  1. काले जादू से छुटकारे के लिए भी पूजायें होती है इस दिन.
  2. ग्रहण शांति पूजा हो सकती है इस दिन.
  3. अगर किसी के वैवाहिक जीवन में समस्या आ रही हो तो वो भी पूजाएँ कर सकते हैं.
  4. ग्रह शांति पूजाएँ भी होती है इस दिन कुंडली में मौजूद ग्रहों को देखते हुए.
  5. हरियाली अमावस्या को विभिन्न प्रकार के उतारे भी होते हैं बुरी नजर और बुरी शक्तियों से बचने के लिए.
  6. कुछ लोग वशीकरण साधना भी करते हैं.
  7. कुछ तांत्रिक तंत्र सिद्धि और मंत्र सिद्धि की क्रिया भी करते हैं.
  8. भक्तगण शिव पूजा भी करते हैं स्वास्थ्य और सम्पन्नता के लिए.
  9. इस दिन पीपल पूजा का भी महत्त्व है

क्या करे हरियाली अमावस को सफलता के लिए?

  • श्रवण महीने का एक महत्त्वपूर्ण दिन है हरियाली अमावस्या और हम इस दिन का उपयोग बहुत सी बाधाओं को हटाने के लिए कर सकते हैं.
  • कम से कम ४८ घंटे के लिए दीपक जलाएं अखंड शान्ति और सम्पन्नता के लिए.
  • पवित्र नदियों में दीपक छोड़े पूर्वजो और उपरी शक्तियों से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए.
  • पितृ तर्पण करे दिवंगत आत्माओं की शांति और उच्चगति के लिए.
  • शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करे शांति और सम्पन्नता के लिए.
  • अगर कोई नकारात्मक उर्जा से ग्रस्त हो तो उनका उतरा भी कर सकते हैं.
  • आप किसी अच्छे ज्योतिष से भी पूजाएँ करवा सकते हैं.

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hariyali amavasya significance in english


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Naagpanchmi Ko Rashi Ke Hisab Se Pooja Kaise Kare

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नाग पंचमी का महत्त्व ज्योतिष के हिसाब से, जानिए राशी के अनुसार कैसे करे नागपंचमी को पूजा.

नागपंचमी एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण दिन है हिन्दुओ के हिसाब से, इस दिन नागदेवता की पूजा होती है और लोग सांपो के महत्त्व को भी जानते हैं. ज्योतिष के हिसाब से पंचमी तिथि नागो को समर्पित है. सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नागपंचमी मनाया जाता है जब पुरे भारतवर्ष में लोग शिव मंदिर में जाके या फिर नाग मंदिरो में जाके नागो की पूजा करते हैं. कुंडली में मौजूद कई दोषों का समाधान सिर्फ नागपंचमी को पूजा करने से हो जाता है.
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Naagpanchmi Ko Rashi Ke Hisab Se Pooja Kaise Kare
  • ऐसी मान्यता है की नागपंचमी को सांपो की पूजा करने से उनकी कृपा से जीवन में स्वास्थ्य, सम्पन्नता, ख़ुशी, संतान सुख आदि की प्राप्ति होती है. इसी कारण हिन्दू लोग नागपंचमी को शिव मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना करते हैं.
  • कुंडली में अगर सर्प दोष हो तो नागपंचमी को पूजा करने से दूर हो सकता है.
  • कुंडली में कालसर्प दोष हो तो उसकी शांति इस दिन हो सकती है.
  • कुंडली में विष दोष का समाधान भी इस दिन पूजा करने से होता है.
  • नागपंचमी को प्रेत दोष निवारण, पितृ दोष निवारण पूजाएँ भी होती है.
  • विवाह में देरी की समस्या को दूर करने के लिए भी इस दिन पूजाएँ होती है.
अतः नाग पंचमी बहुत ही महत्त्वपूर्ण दिन है उन लोगो के लिए जो कठिन समय से गुजर रहे हैं. 

आइये अब जानते हैं की राशि के अनुसार कैसे करे नागपंचमी को पूजा:

  1. हम सभी जानते हैं की १२ राशियाँ होती है जो की विभिन्न ग्रहों द्वारा प्रभावित है.
  2. मेष और वृश्चिक राशि वाले कैसे करे नागपंचमी को पूजा: इन दोनों राशियों के स्वामी ग्रह है मंगल. अगर इन राशी वाले लोग दक्षिण की तरफ मूंह करके नागदेवता की पूजा करे और लाल फूल, इत्र आदि अर्पित करे तो शुभ रहेगा. इसी के साथ सर्प सूक्त और गणेश स्त्रोत का पाठ भी शुभ फल देगा.
  3. वृषभ और तुला राशी वाले कैसे करे नागपंचमी को पूजा:इन दोनों ग्रह के स्वामी है शुक्र. ऐसे लोग अगर उत्तर की तरफ मूह करके पूजा करे और सफ़ेद फूल, चन्दन का इत्र आदि अर्पित करे तो विशेष लाभ ले सकते हैं. इसी के साथ मनसादेवी नाग्स्त्रोत का पाठ या फिर गणेश चालीसा का पाठ करे तो विशेष लाभ ले सकते हैं.
  4. मिथुन और कन्या राशि वाले कैसे करे नागपंचमी की पूजा:इन राशियों के स्वामी बुध ग्रह है. ऐसे लोगो को उत्तर-पूर्व की तरफ मूंह करके पूजा करनी चाहिए. साथ ही बेल पत्र, गन्ने का रस अर्पित करना चाहिए. गणेश कवच का पाठ शुभ फल देगा.
  5. कर्क राशी वाले कैसे करे नागपंचमी की पूजा: इस राशि का स्वामी चन्द्रमा है, ऐसे लोग अगर पश्चिम दिशा की तरफ मूंह करके पूजा करे तो लाभ होगा साथ ही दही, सफ़ेद फूल आदि अर्पित करे. गणेश अथार्व्शिर्ष का पाठ लाभदायक रहेगा.
  6. सिंह राशि वालेकैसे करे नागपंचमी की पूजा: इस राशी के स्वामी सूर्य ग्रह है. ऐसे लोगो को पूर्व की तरफ मूंह करके पूजा करनी चाहिए और लाल फूल, केसर अर्पित करना चाहिए. नाग्स्त्रोत का पाठ स्वास्थ्य और सम्पन्नता लाएगा.
  7. धनु और मीन राशि वाले कैसे करे नागपंचमी को पूजा:इस राशि के स्वामी गुरु ग्रह है. इनको पूर्व-उत्तर की तरफ मूंह करके पूजा करनी चाहिए और पूजा में पीले फूल, हल्दी, पिली मिठाई आदि का प्रयोग करना चाहिए. गणेश अष्टक और नाग सहस्त्रनामावली का पाठ करना शुभ रहेगा.
  8. मकर और कुम्भ राशि वाले कैसे करे नागपंचमी को पूजा: इन राशियों के स्वामी शनि ग्रह हैं. इनको पश्चिम दिशा की तरफ मूंह करके पूजा करनी चाहिए और पूजा में नीले फूल, कला तिल आदि प्रयोग करना चाहिए. गणेश सहस्त्र नामावली और नव नाग्स्त्रोत का पाठ शुभ फल देगा.
अतः यहाँ पर कुछ महत्त्वपूर्ण बाते बताई गई है राशि के हिसाब से नागपंचमी की पूजा करने के बारे में.
श्रद्धा और विश्वास से प्रयोग करके लाभ अवश्य ले.
किसी भी प्रकार के ज्योतिष मार्गदर्शन के लिए यहाँ क्लिक करे



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Naagpanchmi Ko Safalta Ke Liye Kya Kare

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नागपंचमी की शक्ति, क्या करे नाग पंचमी को, क्या न करे नाग पंचमी को, कौन सी पूजाएँ लाभदायक हो सकती है नागपंचमी को.
nagpanchmi ko kaun si puja kare
Naagpanchmi Ko Safalta Ke Liye Kya Kare

एक महत्त्वपूर्ण दिन है नागपंचमी -

अगर आपके कुंडली में कालसर्प दोष है, अगर आपके कुंडली में पितृ दोष है, अगर आपके कुंडली में प्रेत दोष है, अगर आपके कुंडली में सर्प दोष है, अगर आप राहू के नकारात्मक प्रभाव से परेशान हैं तो नागपंचमी के दिन आप कर सकते हैं इन दोषों का परिहार.

आइये देखे किस प्रकार के अनुष्ठान हो सकते हैं नागपंचमी को -

  • कालसर्प दोष निवारण प्रयोग
  • पितृ दोष निवारण प्रयोग
  • प्रेत दोष दोष निवारण प्रयोग
  • विवाह दोष निवारण प्रयोग
  • राहू दोष निवारण पूजा
  • शिव एवं नाग देवता की कृपा प्राप्त करने हेतु पूजा

क्या करना चाहिए नागपंचमी को उज्जवल भविष्य के लिए -

  1. नागपंचमी को पंचामृत से आप नाग देवता का अभिषेक कर सकते हैं अपनी मनोकामना के साथ.
  2. आप भोलेनाथ का अभिषेक कर सकते है पंचामृत से नागपंचमी को.
  3. चन्दन का इत्र आप नाग देवता और भोलेनाथ को अर्पित करे.
  4. दूध में मिश्री घोलके आप नाग देवता को अर्पित करे.

क्या नहीं करना चाहिए नागपंचमी को ?

  • नागपंचमी को किसी नाग या सर्प को ना पकडे 
  • किसी नाग या सर्प को कुछ न पिलाये न खिलाये नागपंचमी को 
  • जो सांप लेके आपके पास आते हैं मांगने उनको कुछ न दे.
नोट :हो सके तो जो सांप पकड़ कर लाते हैं आपके पास मांगने के लिए उनसे उन्हें मुक्त करा के किसी जंगल में छुडवा दे

आप ज्योतिष से क्या पा सकते है ?

  1. आप सिद्ध काल सर्प यन्त्र मंगवा सकते हैं घर में स्थापित करने के लिए.
  2. आप अपने दोष निवारण हेतु पूजा करवा सकते हैं .
  3. आप सिद्ध कालसर्प पेंडेंट या ताबीज मंगवा सकते है अपनी सुरक्षा हेतु.
  4. पितृ दोष, प्रेत दोष एवं अन्य दोष निवारण हेतु कवच मंगवा सकते है.
  5. विवाह समस्या का समाधान हेतु अनुष्ठान करवा सकते है

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Nag Panchmi Ka Mahattw In Hindi

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Nag panchmi ka mahatw in hindi, नाग पंचमी क्या है और क्यों महत्त्वपूर्ण हैं, क्या करे सफलता के लिए नाग पंचमी को ?
हिन्दू धर्म के अन्दर सांप प्रजाति को भी बहुत माना जाता है और लोगो का ऐसा विश्वास है की सांपो के देवता का आशीर्वाद अगर किसी को मिल जाए तो उसका जीवन धन-धान्य से भरपुर हो जाता है. वैदिक ग्रंथो के अनुसार पंचमी तिथि जो की हर महीने आती है नाग पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है इसी कारण पंचमी को नागो को मारना मना है.
nag panchmi kyu bahut mahttw rakhta hai
Nag Panchmi Ka Mahattw In Hindi

आइये अब जानते हैं क्या है नाग-पंचमी?

सच्चाई ये है की पंचमी हर महीने 2 बार आती है परन्तु जो पंचमी शरावन महीने में आती है अमवस्या के बाद उसका महत्तव बहुत है और यही दिन नाग-पंचमी के रूप में मनाई जाती है. इसी दिन नाग देवता की पूजा की जाती है जीवन को सुगम बनाने के लिए.
अगर किसी के कुंडली में कालसर्प योग है या फिर राहू और केतु परेशान कर रहे हो तो भी नागपंचमी के दिन पूजा से लाभ लिया जा सकता है.
2019 में 5 अगस्त, सोमवार  को नाग पंचमी आ रही है जो की बहुत महत्त्वपूर्ण है. 

ज्योतिष के अनुसार २०१९ के नाग पंचमी का महत्तव :

इस बार नाग पंचमी सोमवार को आ रही है और ज्योतिष के अनुसार सोमवार शिवजी का दिन है और साथ ही ये सोमार श्रावण महीने का है अतः पूजा के लिए अति उत्तम महुरत बनता है.
इसी के साथ चन्द्रमा अपने स्व राशि में रहेगा और गुरु भी मित्र का रहेगा गोचर कुंडली में जिसके कारण मनोकामना पूरी करने हेतु उत्तम महूरत का निर्माण होगा.

जिनके कुंडली मे सर्प दोष, नाग दोष, कालसर्प दोष आदि है उनको नागपंचमी को विशेष पूजा अर्चना करना चाहिए. जिनके कुंडली मे ग्रहों की स्थिति ठीक नहीं है ऐसे मे नाग देवता का आशीर्वाद लाभ दे सकता है.

आइये अब जानते हैं की भक्तगण नागपंचमी को क्या करते हैं :

  1. इस दिन लोग उपवास रखते हैं और पूरा दिन नाग देवता और शिव पूजा में व्यतित करते हैं.
  2. इस दिन कढाई नहीं चढ़ाई जाती अतः लोग उबला भोजन ही करते हैं.
  3. इस दिन जमीन खोदना भी मना रहता है जिससे की किसी नाग प्रजाति को नुक्सान न हो.
  4. लोग इस दिन सांपो की बाम्बी की भी पूजा करते हैं.
  5. लोग शिव और नाग देवता के मंदिर में जाते हैं और पूजा अर्चना करते हैं.

आईये जानते हैं कुछ आसान तरीके नाग पंचमी के लिए:

  1. इस दिन नव नाग स्त्रोत का पाठ उचित होता है.
  2. नाग मंदिर में दूध से या फिर पंचामृत से अभिषेक लाभ देता है. 
  3. जिनके कुंडली में कालसर्प योग है वे लोग कालसर्प यन्त्र सिद्ध करवा के घर में स्थापित कर सकते हैं.
  4. सर्प की अंगूठी बनवाके इस दिन पूजा करके धारण करने से बहुत लाभ होता है.
  5. शिव पूजा भी नागपंचमी को विशेष फलदाई होती है.
नाग पूजा द्वारा आप अपने व्यक्तिगत जीवन को अच्छा कर सकते हैं.
नाग पूजा द्वारा आप अपने काम-काज के क्षेत्र को सुगम बना सकते हैं.
नाग पूजा से आप अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं.
अतः नाग पंचमी को नाग पूजा करे और जीवन को धन्य बनाए, सफलता के रास्ते खोले.


jyotishsansar.com की और से सभी को नागपंचमी की शुभकामनाये.

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Nagchandreshwar Mandir Saal Me Ek Baar Hi Kyu Khulta Hia ?

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ujjain nagchandreshwar mandir ke chamatkaar
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उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर : क्यों खुलता है सिर्फ साल में एक दिन?

इस सवाल का जवाब हर भक्त जानना चाहता है, बहुतो को तो मालूम है पर अधिकतर लोगो को इसकी जानकारी नहीं है. 
हिंदू धर्म में सदियों से नागों की पूजा करने की परंपरा रही है। हिंदू परंपरा में नागों को भगवान का आभूषण भी माना गया है। भारत में नागों के अनेक मंदिर हैं, इन्हीं में से एक मंदिर है उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर का,जो की उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है। इसकी खास बात यह है कि यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिन नागपंचमी (श्रावण शुक्ल पंचमी)पर ही दर्शनों के लिए खोला जाता है। ऐसी मान्यता है कि नागराज तक्षकस्वयं मंदिर में रहते हैं।
नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है, इसमें फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं। कहते हैं यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।
पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं। मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में शिवजी, गणेशजी और मां पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं। शिवशंभु के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं।

आइये जानते है की क्या है पौराणिक मान्यता नागचंद्रेश्वर मंदिर को लेके ?

सर्पराज तक्षक ने शिवशंकर को मनाने के लिए घोर तपस्या की थी। तपस्या से भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया। मान्यता है कि उसके बाद से तक्षक राजा ने प्रभु के सा‍‍‍न्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया।
लेकिन महाकाल वन में वास करने से पूर्व उनकी यही मंशा थी कि उनके एकांत में विघ्न ना हो अत: वर्षों से यही प्रथा है कि मात्र नागपंचमी के दिन ही वे दर्शन को उपलब्ध होते हैं। शेष समय उनके सम्मान में परंपरा के अनुसार मंदिर बंद रहता है। इस मंदिर में दर्शन करने के बाद व्यक्ति किसी भी तरह के सर्पदोष से मुक्त हो जाता है, इसलिए नागपंचमी के दिन खुलने वाले इस मंदिर के बाहर भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है।
यह मंदिर काफी प्राचीन है। माना जाता है कि परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी के लगभग इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इसके बाद सिं‍धिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। उस समय इस मंदिर का भी जीर्णोद्धार हुआ था। सभी की यही मनोकामना रहती है कि नागराज पर विराजे शिवशंभु की उन्हें एक झलक मिल जाए। लगभग दो लाख से ज्यादा भक्त एक ही दिन में नागदेव के दर्शन करते हैं।
नागपंचमी पर वर्ष में एक बार होने वाले भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए रात 12 बजे मंदिर के पट खुलते है और दूसरे दिन रात 12 बजे मंदिर में आरती होक पट पुनः बंद कर दिए जाते हैं.

नागचंद्रेश्वर मंदिर की पूजा और व्यवस्था महानिर्वाणी अखाड़े के संन्यासियों द्वारा की जाती है।

नागपंचमी को उज्जैन के कलेक्टर भी नागचंद्रेश्वर मंदिर में पूजन करते हैं .  यह सरकारी पूजा होती है । यह परंपरा रियासतकाल से चली आ रही है। रात्रि को 8 बजे श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति द्वारा पूजन होता है ।

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Rakshabandhan aur Hindi Jyotish

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रक्षा बंधन और हिंदी ज्योतिष, क्या महत्त्व है रक्षा बंधन का, क्या करे सुख और सम्पन्नता के लिए रक्षा बंधन को ज्योतिष समाधान.
rakshabandhan kyu manaate hai hindi jyotish anusar
rakshabandhan ka mahttw

रक्षा बंधन और ज्योतिष:

रक्षाबंधन जिसे राखी के नाम से भी जानते हैं भारत में मनाया जाता है. ये भाई और बहनों का त्यौहार है और हर बहन इस त्यौहार का इन्तेजार करती है हर साल. राखी के दिन बहन अपने भाई को सुन्दर सा धागा बांधती है जो की उसके प्रेम का प्रतिक है, इससे वो ये भी कहती है की जीवन भर रक्षा करना और प्रेम बनाए रखना. दशको से भारत में ये त्यौहार मानता आ रहा है. राखी का त्यौहार श्रावण मॉस के पूर्णिमा को मानाया जाता है हिन्दू पंचांग के अनुसार. 
नोट:राखी कभी भी भद्रा काल में नहीं बांधना चाहिए, इस काल की जानकारी अखबारों और टीवी चैनल पर बताया जाता है समय आने पर. 
ज्योतिष के हिसाब से श्रावण महीने की पूर्णिमा बहुत ही महत्त्वपूर्ण होती है. अगर इस दिन कोई दान करे, पूजा पाठ करे तो भाग्योदय होता है. इसीलिए भी ये दिन काफी उत्साह से मानाया जाता है. 
इस दिन बहन अपने भाई के कलाई में राखी बांधती है और भाई अपनी प्यारी बहन को उपहार देता है और दोनों ही एक दुसरे के अच्छे जीवन की कामना करते हैं. 
ज्योतिष के हिसाब से देखे तो उपहार देने से पहले अगर ज्योतिष से भी परामर्श लिया जाए तो ये भी भाग्योदय में बहुत सहायता करता है. कुंडली में ग्रहों को देखते हुए अगर उपहार दिया जाए तो भी दोनों को बहुत लाभ होता है.

इस बात को एक उदाहरण से देखते हैं:
अगर भाई के कुंडली में चंद्रमा या शुक्र खराब हो तो ऐसे में चांदी की राखी नहीं प्रयोग करना चाहिए. इसी प्रकार अगर बहन की कुंडली में कोई ग्रह खराब हो तो उससे सम्बंधित उपहार देने से बचना चाहिए. अतः ऐसे में ज्योतिष ही बता सकता है की क्या उपहार दोनों के लिए भाग्योदय में सहायता कर सकता है.

आइये देखते हैं कुछ ऐसे उपहार जो की भाग्योदय में सहायता कर सकते हैं और हमेशा काम भी आते हैं:

  • सोने की चैन
  • चांदी की चैन
  • रुद्राक्ष से बने गहने
  • ज्योतिष द्वारा बनाए गए पेंडेंट 
  • भाग्योदय में सहायक कड़े 
  • आप मछली घर भी दे सकते हैं.
  • विशेष रंग के कपड़े भी दे सकते हैं.
  • कुछ लोग एक दुसरे को भाग्योदय हेतु यन्त्र भी दे सकते हैं. 
  • पारद शिवलिंग या फिर पारद श्री यन्त्र उपहार में दे सकते हैं. 
  • इस दिन आप घर  में रुद्राभिषेक का अनुष्ठान भी करवा सकते हैं पुरे परिवार के सम्पन्नता के लिए. 

क्या करे रक्षा बंधन को सफलता के लिए?

आइये जानते हैं कुछ आसान तरीके जिसे अपना के हम स्वास्थ्य, सम्पन्नता को ला सकते हैं -
  1. प्रातः काल जल्दी उठे अपने नियमित क्रियाओं से मुक्ति पायें. 
  2. इसके बाद पहले देव तर्पण करे और पूजा करे अपने घर पे, व्यपारिक स्थान में. उन वस्तुओ की पूजा भी करे जो आपकी सहाहता करते हैं. 
  3. अपने घर और व्यापार स्थान के दरवाजे पर पवित्र धागा बांधे, उन चीजो पर भी बांधे जो आपकी मदद करते है आय में या फिर रक्षा में. 
  4. अपने तिजोरी की भी पूजा अवश्य करे. 
  5. इस दिन श्री यन्त्र की स्थापना भी बहुत अच्छा होता है. 
अतः आप कुछ आसान तरीके से इस त्यौहार को मना के सफलता को आकर्षित कर सकते हैं. 
अगर आप ज्योतिषीय सलाह लेना चाहते हैं तो ज्योतिष से संपर्क कर सकते हैं इस वेबसाइट के माध्यम से.



रक्षा बंधन महुरत 2018

रक्षा बंधन और हिंदी ज्योतिष, क्या महत्त्व है रक्षा बंधन का, क्या करे सुख और सम्पन्नता के लिए रक्षा बंधन को ज्योतिष समाधान.

Rakshabandhan Mahurat in Hindi

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Rakshabandhan Mahurat 2019 in Hindi, क्या खास बात है 2019 के रक्षाबंधन में, ग्रहों की दशा जानिए ७  अगस्त 2019 को., ज्योतिषीय महत्तव रक्षाबंधन का.
2019 raksha bandhan mahurat in hindi jyotish
रक्षा बंधन महूरत २०१९ 
 एक पवित्र त्यौहार है रक्षा बंधन, एक महत्त्वपूर्ण उत्सव है रक्षाबंधन जो की समर्पित है भाई और बहनों को. भाई कहीं भी हो पर रक्षाबंधन के दिन वो जरुर से कोशिश करते हैं की घर पर आये और अपनी प्यारी बहन से राखी बंधवाये और उसे कुछ उपहार दे. 

जो धागा बहन अपने भाई को बांधती है वो कोई साधारण धागा नहीं होता अपितु एक रक्षा कवच की तरह काम करता है जो की व्यक्ति के भाग्वोदय में सहायक होता है. जहाँ बहन भाई की रक्षा के लिए पवित्र धागा बांधती है वही भाई भी बहन की रक्षा करने का वादा करते हैं और विश्वास दिलाते हैं की जीवन भर जब भी जरुरत पड़ेगी तो वो बहन की रक्षा करेंगे. 

आइये जानते हैं की 2019 के रक्षाबंधन की क्या ख़ास बात है :

15 अगस्त 2019 को दिन है रविवार और पूर्णिमा तिथि है. इस दिन ग्रहों की स्थिति अच्छी और ख़राब दोनों बन रहा है, आइये देखते हैं –
  • चन्द्रमा स्व राशी का रहेगा जो की इस त्यौहार को बल देगा.
  • गुरु अपने मित्र राशि में रहेगा जिससे इस दिन की शुभता बढ़ेगी.
  • बुध भी स्व राशि का रहेगा, रक्षाबंधन को जो की और अच्छा रहेगा. 
  • मंगल नीच का रहेगा.
  • शुक्र शत्रु राशि का रहेगा.

आइये अब आपको बताते हैं कुछ ख़ास बाते जिससे की आप इस दिन को और ख़ास बना सकते हैं और परेशानियों को कम कर सकते हैं :

  1. मंगल ग्रह गोचर में नीच का रहेगा अतः जिनके कुंडली में मंगल नीच का है उन्हें हनुमानजी को राखी बांध के उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए. 
  2. शुक्र गोचर में अशुभ रहेगा जिसके लिए किसी माता मंदिर में कपूर का दान करे, कन्याओं को उपहार दे, बहनों को उपहार दे. 

आइये अब जानते हैं राखी बाँधने के शुभ महूरत :

  1. शुभ महुरत सुबह ६:०० से ७:३०
  2. चर महुरत सुबह १०:३० से १२:०० तक.
  3. लाभ महुरत सुबह १२:०० से १:3० बजे दोपहर तक.
  4. अमृत महुरत दोपहर को १:३० से 3:०० तक 
  5. शुभ महुरत शाम को ४:३० से ६:०० तक
  6. अमृत महुरत शाम को ६:०० से ७:३० तक 
चोघडिया के हिसाब से इन समय मे राखी बाँधी जा सकती है.

कौन से रंग की राखी कौन से जातको के लिए शुभ रहेगी?

Raksha Bandhan 2019 में बहन अपने भाई के हाथ में निम्न रंगों के धागे का स्तेमाल करके शुभता को बढ़ा सकते हैं.
  1. मेष राशि के जातकों की कलाई पर लाल रंग की राखी बांधना शुभ होता है। इससे भाई के जीवन में उत्साह और उर्जा बनी रहती है। साथ ही केसरिया और पीले रंग की राखी भी आप अपने भाई को बांध सकती हैं। 
  2. वृषभ राशि वालों के लिए सफेद या चांदी रंग की राखी शुभ है।
  3. मिथुन राशि के जातक के लिए हरी या चंदन से बनी राखियां शुभ होती है।
  4. कर्क वालो के लिए सफेद रेशमी धागे की या मोतियों से बनी राखी शुभ है।
  5. सिंह राशी वालो के लिए पीला या सुनहरा रंग की राखी बांधनी चाहिए शुभ होती है।
  6. कन्या राशि के जातकों के लिए सफेद रेशमी या हरे रंग की राखी शुभ है। 
  7. तुला वालो के लिए सफेद या क्रीम रंग की राखी बांधे। यह शुभ होता है।
  8. वृश्चिक राशि के जातक के लिए गुलाबी, लाल या चमकीली राखी शुभ मानी जाती है।
  9. धनु राशी वालो के लिए रेशमी रंग की राखी बांधें। पीली रंग की राखी भी इनके लिए शुभ होती है।
  10. मकर वाले जातको के हाथ में नीले या गहरे नीले रंग की राखी बांधना शुभ होता है।
  11. कुंभ राशि के लोगो को भी गहरे नीले रंग की राखी बाँध सकते हैं.
  12. मीन– इन्हें पीले रंग की राखी बांधे।
jyotishsansar.com की तरफ से सभी को शुभकामनाये.

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Swapn Me Uttar Paane Ke liye Mantra

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कैसे पायें स्वप्न में प्रश्नों का उत्तर, स्वप्न सिद्धि का मंत्र, दुर्गा जी का स्वप्न सिद्धि हेतु मंत्र.

सपने तो हम सभी रोज देखते हैं, ये हमारे जीवन का एक भाग है. बिना सपनो के नींद की कल्पना नहीं की जा सकती है. ये बात अलग है की कुछ लोगो को सपने याद रहते हैं और कुछ लोगो को सपने याद नहीं रहते हैं. शुभ सपनो को देखने से व्यक्ति को बड़ा अच्छा लगता है परन्तु किसी डरावने सपने को देखके मन में भय और अस्थिरता का भाव उदित हो जाता है.
swapn siddhi mantra jyotish dwara
swapn siddhi mantra

स्वप्नों पर हमारा कोई अधिकार नहीं होता है परन्तु विज्ञान के अनुसार हमारे सूक्ष्म मन में जो विषय रहते हैं वही सपनो में नजर आते हैं. 
भारतीय शाश्त्रो में कई प्रकार के विद्याओं के गूढ़ विद्याओं की जानकारी दी गई है जिनमे से एक विद्या है स्वप्न में अपने प्रश्नों का उत्तर पाने की साधना. दुर्गा शप्तशती में इस मंत्र का उल्लेख मिलता है. 
ये मंत्र माँ दुर्गा का एक शक्तिशाली मंत्र है और  जो पूर्ण भक्ति भाव से इसका जप करता है उसे स्वप्न में माँ की कृपा से मार्ग दर्शन प्राप्त होता है. 
मंत्र का प्रयोग करने से पहले इसे नवरात्री, दिवाली की रात्रि, ग्रहण के समय में जप लेना चाहिए. 

आइये जानते हैं स्वप्न सिद्धि मंत्र प्रयोग के लिए किन बातो का ध्यान रखना चाहिए:

  • रात्रि 10 बजे बाद इस मंत्र को जपना चाहिए. 
  • जप से पहले माँ दुर्गा के आगे घी का दीपक जलाना चाहिए. 
  • माँ को गूगल की धुप भी दिखाए साधना काल में.
  • जप के लिए रुद्राक्ष की माला शुभ रहती है.
  • साधना से पहले माँ से प्रार्थना करे की आपको आपके प्रश्नों का उत्तर सपने में दें.
  • मंत्र जप हमेशा किसी ऊनी आसन पर बैठ कर ही करे.
  • प्रयोग शुरू करने से पहले किसी सिद्ध महूरत में इस मंत्र को कम से कम १००८ बार जप लेना चाहिए.
  • साधना से पहले नहा के अपने शारीर को भी शुद्ध कर लेना चाहिए और पूरी तन्मयता से जप करना चाहिए. 
  • सोने के समय इस मंत्र का जप करते हुए सोये और अपने प्रश्न को भी मन में रखे, माता से मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना करते रहे. 

आइये अब जानते है स्वप्न सिद्धि के मंत्र को :


“दुर्गे देवी नमस्तुभ्यं सर्व कामार्थ साधिके |
मम सिद्धिंसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय ||”
यही है वो शक्तिशाली चमत्कारी मंत्र जिसका जप माता से मार्गदर्शन के लिए किया जाता है. 
तो आप भी महा शक्ति से अपने प्रश्नों का जवाब जानने के लिए इस स्वप्न सिद्धि मंत्र का प्रयोग कर सकते हैं.
दिखाइए अपनी कुंडली ज्योतिष को और जनिए आपके सफलता के उपाय



Read in english how to get answers in Dreams?

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Swapn Aur Jyotish| सपनो के अर्थ

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Swapn Aur Jyotish, सपनो के अर्थ, कैसे जाने सपने अच्छे हैं या बुरे, ज्योतिष द्वारा स्वप्न फल जाने, स्वप्न विज्ञान.
janiye sapno ke arth , kya kahte hain sapne
Swapn Aur Jyotish| सपनो के अर्थ
सोना किसे पसंद नहीं होता, एक अच्छी नींद शारीर को उर्जा से भर देती है और दुसरे दिन हम अच्छी तरह से काम कर सकते हैं. जब हम सोते हैं तो हमे बहुत से दृष्टांत होते हैं जिसे हम सपने कहते हैं. रोज हर कोई ना ना प्रकार के सपने देखते हैं. ज्योतिष सपनो को देखकर भी संभावित घटनाओं के बारे में जाना जाता है. परन्तु ये इतना भी आसान नहीं होता है क्यूंकि बहुत से सपने तो हम उठते ही भूल जाते हैं.
कुछ सपने भाग्योदय का संकेत देते हैं और कुछ संकटों का संकेत देते हैं.
इस लेख में हम जानेंगे किस प्रकार से सपने क्या अर्थ बताते हैं.

आइये जानते हैं कुछ शुभ सपनो के बारे में :

  1. सूर्य का सपने में दिखना ये बताता है की जल्दी ही किसी संत या फिर अध्यात्मिक व्यक्ति से मुलाकात होने वाली है और आशीर्वाद प्राप्त होने वाला है.
  2. अगर स्वप्न में बादल नजर आये तो खुश होना चाहिए क्यूंकि ये व्यापार में वृद्धि के संकेत है.
  3. अगर सपने में घोड़े की सवारी करते देखे तो भी ये तरक्की के संकेत हैं.
  4. अगर कोई अपने आपको कांच में देखे सपने में तो ये किसी से प्रेम होने का संकेत देता है.
  5. स्वप्न में बारिश को देखना ये दर्शाता है की धान, गेहू आदि सस्ते हो सकते हैं.
  6. अगर स्वप्न में बाल कटते हुए देखे तो ये किसी प्रकार के ऋण से मुक्त होने के संकेत है.
  7. स्वप्न में मल मूत्र का दिखना कही से धन आने के संकेत देता है.
  8. सपने में सफ़ेद बाल देखना आयु वृद्धि के संकेत देता है.
  9. किसी पहाड़ पर चड़ना तरक्की होने के संकेत है.
  10. अगर को विष्ठा खाते हुए सपने में देखे तो इसका मतलब है की उसे कही से खजाना मिलने वाला है.
  11. फूल का दिखना प्रेमी या प्रेमिका से मिलने का संकेत है.
  12. हाथी का स्वप्न में देखने का अर्थ है ख़ुशी और किसी करीबी महिला मित्र से मुलाकात.
  13. पानी या जल का दिखना व्यापार में लाभ के संकेत देता है.
  14. अगर आप स्वप्न में पान खाते हुए नजर आये तो आपको जल्द ही सुन्दर स्त्री से मुलाकात होने के संकेत हैं.
  15. पानी में डूबते हुए देखने का मतलब है की आप कुछ शुभ कार्य करने वाले हैं.
  16. हरी सब्जियों का दिखना बताता है की आपको ख़ुशी मिलने वाली है.
  17. स्वप्न में झंडे का दिखना किसी धार्मिक कार्यो में व्यस्त होने का संकेत देती हैं.
  18. किसी मृत को देखना किसी प्रकार के बिमारी से मुक्ति दर्शाता है.
  19. आभूषण का दिखना बताता है की कोई इच्छा शीघ्र ही पूरी होने वाली है.
  20. किसी भी महिला से मिलने का मतलब होता है की आय में वृद्धि होगी.
  21. जुआ खेलते अगर स्वप्न में देखे तो इसका मतलब है की व्यापार में वृद्धि होगी.
  22. अगर चन्द्रमा के दर्शन हो सपने में तो इसका अर्थ है की समाज में सम्मान मिलेगा.
  23. अगर आप अपने आपको किसी नदी में तैरते देखे तो इसका अर्थ है की आप किसी समस्या से मुक्त होंगे.

आइये अब जानते हैं कुछ बुरे सपनो के बारे में जो की किसी प्रकार के अनहोनी को दर्शाते हैं :

Swapn Aur Jyotish, सपनो के अर्थ, कैसे जाने सपने अच्छे हैं या बुरे, ज्योतिष द्वारा स्वप्न फल जाने, स्वप्न विज्ञान.
  1. अगर कोई अपने आपको किसी ऊँची जगह से गिरते हुए देखे तो इसका अर्थ है की किसी प्रकार की समस्या आने वाली है.
  2. सपने में जुलूस का देखना किसी प्रकार के दुःख का संकेत है.
  3. अपने आपको हँसते हुए देखना भी दुःख का संकेत है.
  4. अगर स्वप्न में जहाज दिखे तो इसका मतलब है की आप किसी लम्बी यात्रा पर जाने वाले हैं.
  5. अगर स्वप्न में बुरे चेहरे, डरावने चेहरे नजर आये तो इसका मतलब है किसी नकारत्मक ऊर्जा का असर है आप पर.
  6. सर्प दंश का दिखना पितृ दोष का संकेत है.
  7. किसी प्रकार की दुर्घटना का दिखना भी समस्याओं का संकेत है.
  8. सपने में खून का दिखना भी समस्याओं का संकेत हैं.
अतः सपनो का अपना रहस्य होता है, इनको हम नजर अंदाज नहीं कर सकते हैं, स्वप्नों को जानकार भी बहुत कुछ जीवन के बारे में जाना जा सकता है.
अगर कोई अशुभ स्वप्न नजर आये तो इसमे घबराने की जरुरत नहीं है , किसी जानकार ज्योतिष से परामर्श लेना चाहिए और जीवन को सुखी करना चाहिए.


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Akasmik Dhan Prapti Yoga Jyotish Mai

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Akasmik Dhan Prapti Yoga Jyotish Mai, कुंडली में कुछ योग जो बनाते हैं धनवान, जानिए कौन से ग्रह बनायेंगे करोड़पति. 
धन की आवश्यकता सभी को होती है और इसके लिए हम सभी मेहनत करते रहते हैं, परन्तु भाग्य से भी कभी कभी आकस्मिक धन प्राप्ति संभव है जिसे ज्योतिष के माध्यम से जाना जा सकता है. हमने ऐसा बहुत सुना है और देखा भी होगा की किसी को चलते चलते सोना मिला, किसी को लाटरी खुल गई, किसी को किसी ने उपहार स्वरुप संपत्ति दे दी या किसी को खुदाई करते हुए गड़ा धन प्राप्त हुआ, आदि | ये तभी होता है जब कुंडली में आकस्मिक धन प्राप्ति योग हो. 
kundli me akasmik dhan prapti yoga hindi jyotish anusar
Akasmik Dhan Prapti Yoga Jyotish Mai
कुंडली या जन्म पत्रिका में ग्रह विभिन्न भावो में बैठते हैं अलग अलग राशियों के साथ और विभिन्न प्रकार के योगो का निर्माण करते हैं. कुछ योग आकस्मिक धन प्राप्ति करवाने में सहायता करते हैं.

आइये जानते हैं की आकस्मिक धन प्राप्ति में क्या क्या आ सकता है?

अगर भाग्य में अचानक से धन लाभ या संपत्ति लाभ हो तो जातक को गुप्त धन की प्राप्ति हो सकती है, लोटरी लग सकती है, स्कालरशिप मिल सकती है, कोई वसीयत नाम कर सकता है, कोई भेंट में संपत्ति या धन दे सकता है आदि.

आइये जानते हैं की अचानक से धनवान बनाने वाले योग कैसे बनते हैं कुंडली में?

  1. यदि लग्न का स्वामी कुंडली के नवम भाव में हो और नवे घर का स्वामी लग्न में हो तो जातक को धनवान बनने से कोई नहीं रोक सकता है. पढ़िए राजयोग ज्योतिष में>> 
  2. यदि लाभ भाव, पंचम भाव, आय भाव और नवम भाव के स्वामी मजबूत स्थिति में हो कुंडली में तो इसमें कोई शक नहीं की जातक को आकस्मिक धन लाभ करवाता है.ऐसे में जातक करोड़पति भी आसानी से बन जाता है.
  3. यदि लग्न में सिंह राशि का सूर्य बैठा हो और गुरु उसे पूर्ण दृष्टि से देख रहा हो तो भी अचानक से धन लाभ करवाता है.
  4. यदि वृश्चिक राशी का मंगल जन्मपत्रिका के पहले घर में बैठा हो और उसकी दृष्टि चन्द्रमा और गुरु पर हो तो भी धन-संपत्ति दिलवाता है.
  5. यदि शनि कुंडली के पहले भाव में मकर राशि के साथ बैठ जाए और उस पर बुध व शुक्र की दृष्टि हो तो भी जातक को धन लाभ करवाता है.
  6. इसी प्रकार यदि लग्न में कुम्भ राशि के साथ शनि , बुध और शुक्र की युति हो जाए तो भी जातक को धनवान बना देता है. पढिये गजकेसरी योग के बारे में >>
  7. वृषभ राशि या फिर तुला राशि के साथ अगर शनि, शुक्र और बुध की युति हो तो भी जातक को धनवान बनाता है.
  8. मिथुन लग्न की जन्म पत्रिका हो और वही पर चन्द्रमा और गुरु साथ में बैठे तो भी जातक को धनवान बना देता है.
  9. इसी प्रकार कन्या लग्न की कुंडली हो और गुरु और चन्द्रमा साथ में बैठ जाए तो भी जातक को धनवान बना देता है.
  10. यदि लग्नेश और नवमेश कुंडली के केंद्र भाव में बैठ जाए तो जातक को खूब धन दिलवाता है.
  11. यदि जन्म-पत्रिका में लग्न का स्वामी, पंचम भाव का स्वामी और ग्यारहवे भाव का स्वामी उच्च के हो तो भी जातक को खूब और अकस्मात् धन दिलवाता है.
  12. लग्न में उच्च का गुरु और लाभेश और धनेश का उच्च को होना आकस्मिक धन प्रदान करवाता है.
  13. कुंडली के दूसरे भाव में गुरु स्थित हो और उस पर शनि की पूर्ण दृष्टि हो तो जातक को हमेशा ही धन लाभ करवाता है | इसी प्रकार अगर दुसरे भाव में शनि बैठा हो और उस पर बुध की दृष्टि हो तो भी जातक लगातार धन लाभ करता रहता है.
  14. यदि पत्रिका में दुसरे घर का स्वामी बृहस्पति हो और वो मंगल के साथ बैठ जाए तो भी जातक को संपत्ति लाभ करवाता है.
  15. यदि कुंडली के केंद्र भावों में उच्च के ग्रह बैठे हो तो जातक को वैभवशाली जीवन जीने से कोई नहीं रोक सकता है.
  16. पंचम घर में यदि स्व राशि का गुरु विराजमान हो और ग्यारहवे भाव में चन्द्रमा के साथ बुध बैठा हो तो जातक को खूब धन देता है.
  17. यदि कुंडली के दसवे भाव का स्वामी वही बैठा हो तो जातक को ऐसा रोजगार देता है की वो उत्तरोत्तर तरक्की करता हुआ धन कमाता रहता है.
  18. लाटरी खुलने के योग तब बनते हैं जब पंचम, एकादश या नवम भाव में राहु या केतु शुभ के होक बैठे हो और उच्च अंशो में.
  19. कुंडली के अष्टम भाव में यदि धन भाव का स्वामी हो तो जातक को जीवन में दबा हुआ, गुप्त धन, वसीहत से धन प्राप्त कराता हैं ।


ऊपर हमने कुछ धन प्राप्ति के योग देखे ज्योतिष के अनुसार, इसके अलावा भी बहुत से योग रहते हैं जो धन प्रदान करवाते हैं.

कलयुग में धन क्षमता ही सफलता का एक मानक है जिसके पास जितना धन है वो उतना सफल माना जाता है और इसी कारण सभी इसी को प्राप्त करने के पीछे भागते रहते हैं.

ज्योतिष के अनुसार कुंडली में दुसरा भाव धन भाव या फिर लाभ भाव कहलाता है, चोथा भाव सुख से जुड़ा है, पंचम भाव से उत्पादक क्षमता का पता चलता है, नवा भाव भाग्य को दर्शाता है, ग्यारहवे भाव से आय के बारे में पता चलता है, और दसवे भाव से कर्म के बारे में पता चलता है. अतः जब धन के बारे में जानना हो तो इनका विशेष अध्ययन किया जाता है.

अगर कुंडली में धन प्राप्ति योग ना दिखे तो भी घबराने की आवश्यकता नहीं है कुछ पूजाओ से लगातार मेहनत करके, ईष्ट कृपा से भी धनवान बनना संभव है.

Akasmik Dhan Prapti Yoga Jyotish Mai, कुंडली में कुछ योगजो बनाते हैं धनवान, जानिए कौन से ग्रह बनायेंगे करोड़पति.

Rajyog Jyotish Mai, राजयोग को जानिए

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Rajyog in hindi Jyotish Mai, राजयोग को जानिए,  कुंडली में राजयोग, ग्रहों की स्थिति राज योग में, कैसे जाने कुंडली में राजयोग को. 
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Rajyog Jyotish Mai, राजयोग को जानिए
कुंडली में मौजूद योगो को जानने की लालसा सभी को रहती है, जिन लोगो को ज्योतिष में रूचि होती है वो ये जानना चाहते हैं की उनके कुंडली में राज योग है की नहीं. इस लेख में इसी विषय पर प्रकाश डाला जा रहा है. क्या होता है राज योग, क्यों लोग इसके बारे में जानना चाहते हैं. क्या करे अगर राज योग न हो कुंडली में, कैसे जीए एक सुखी और सफल जीवन.

राजयोग के बारे में गलत धारणा :

लोग साधारणतः ऐसा सोचते हैं की राज योग सिर्फ एक ही प्रकार का होता है और इसमे सिर्फ एक ही प्रकार से ग्रहों की स्थिति होती है. परन्तु ये सरासर गलत धरना होती है. राज योग अलग अलग प्रकार के होते हैं और सभी में ग्रहों की स्थिति अलग अलग प्रकार के होते हैं. एक अच्छा और अनुभवी ज्योतिष आपकी कुंडली को देखके इसके बारे में सही जानकारी दे सकता है.

क्या है राज योग ?

राजयोग का अर्थ होता है कुंडली में ग्रहों का इस प्रकार से मौजूद होना की जीवन में सफलताओं को आसानी से व्यक्ति प्राप्त कर सकता हो. अगर कुंडली में राज योग होता है तो इसमे कोई शक नहीं की जातक का जीवन सुखी और प्रभावशाली होता है. कई बार कमजोर राज योग और भंग राज योग के कारण भी परिणाम में अंतर आता है.

आइये जानते हैं राजयोग के कारण जातक को क्या फायदे हो सकते हैं :

  1. इसके कारण व्यक्ति स्वस्थ, संपन्न और बुद्धिमान होता है.
  2. अगर कोई राजनीती में हो और उसके कुंडली में राज योग हो तो वो अच्छे पद तक पहुचता है.
  3. अगर किसी इंजिनियर के कुंडली में राज योग हो तो वो अपने कार्य से अच्छे पद को प्राप्त करता है.
  4. अगर किसी साधक के कुंडली में राज योग हो तो वो अपनी साधना में जल्दी तरक्की करता है.
  5. अगर किसी डॉक्टर के कुंडली में ये योग हो तो उसे चिकित्सा क्षेत्र में बहुत सफलता अर्जित करते हम देख सकते हैं.
  6. नाम, यश, ख्याति , धन , वैभव सभी कुछ राज योग के कारण जातक प्राप्त करता है जीवन में.

आइये अब जानते हैं की राजयोग होने पर भी क्यों कोई व्यक्ति इच्छित सफलता नहीं प्राप्त कर पाता है ?

कई बार लोग इस प्रकार के प्रश्न करते हैं की मेरे कुंडली में गजकेसरी योग है पर में बहुत परेशान रहता हूँ,खाने के लिए भी बहुत संघर्ष करना पड़ता है, क्यों. यहाँ यही कहना चाहेंगे की कुंडली में ग्रहों की सही तरीके से अध्ययन जरुरी है अगर हम सच जानना चाहते हैं. कई बार योग बहुत कमजोर होता है और कई बार उसका समय नहीं होता है. समय से पहले भी परिणाम की अपेक्षा हम नहीं कर सकते हैं.
एक उदाहरण से समझते हैं मेरे एक मित्र की कुंडली में गज केसरी योग था परन्तु उसे हमेशा ही परेशान देखता था, ज्योतिष उसकी कुंडली देख के यही बोलते की तुम्हारे पास तो बहुत धन है, तुम बहुत तरक्की करोगे परन्तु सच्चाई ये है की आज भी वो परेशान घूम रहा है न शादी हुई और न कोई स्थाई नौकरी और न खाने को घर.
जब मैंने उसकी कुंडली देखि तो पाया की उसके कुंडली में राज योग तो था पर गुरु और चन्द्र दोनों की शक्तिहीन थे जिससे उसे इस योग का लाभ नहीं मिल पा रहा था. अतः योग होक भी नहीं था. अतः ये जरुरी है की ग्रहों की स्थिति का पूर्ण अध्ययन करे किसी नतीजे पर पहुचने से पहले.

राज योग के कुछ प्रकार :

Rajyog Jyotish Mai, राजयोग को जानिए,  कुंडली में राजयोग, ग्रहों की स्थिति राज योग में, कैसे जाने कुंडली में राजयोग को.

कुंडली में विभिन्न प्रकार के राज योग बनते हैं जिनमे से कुछ की जानकारी यहाँ दी जा रही है.
  1. कुंडली में राज योग : अगर कुंडली में गुरु उच्च का हो, शुक्र नवे भाव में बैठा हो, मंगल और शनि सातवे भाव में हो तो ये एक विशेष प्रकार का राज योग बनाता है और इसके प्रभाव से व्यक्ति जल्द ही सरकारी नौकरी प्राप्त करके अच्छा नाम, पैसा कमाता है और हंसी ख़ुशी जीवन व्यतीत करता है.
  2. गजकेसरी योग कुंडली में : अगर कुंडली में गुरु केंद्र में बैठा हो लग्न या चन्द्रमा से या फिर वो शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो गजकेसरी योग का निर्माण होता है. परन्तु इस बात का ध्यान रखना चाहिए की गुरु नीच का न हो या फिर शत्रु का न हो. गजकेसरी योग के कारण जातक को उच्च कोटि का ऑफिसर बनता है साथ ही उसका अलग ही नाम और ख्याति होती है.
  3. सिंघासन योग : अगर सभी ग्रह दुसरे, तीसरे, छठे, आठवे और बारहवे घर में बैठ जाए तो सिंघासन योग बनता है कुंडली में. इसके प्रभाव से व्यक्ति शासन अधिकारी बनता है और नाम प्राप्त करता है.
  4. हंस योग : अगर कुंडली में मौजूद सभी ग्रह मेष, कुम्भ, मकर, वृश्चिक और धनु राशि में हो तो हंस योग का निर्माण होता है. इसके कारण व्यक्ति ऐश्वर्या और भव्य जीवन व्यतित करता है.
  5. चतुः सार योग : अगर कुंडली में ग्रह मेष, कर्क, तुला और मकर राशि में स्थित हो तो ये योग बनता है. इसके प्रभाव से व्यक्ति इच्छित सफलता जीवन में प्राप्त कर सकता है और किसी भी समस्या से आसानी से बहार आ जाता है.
  6. श्रीनाथ योग : अगर लग्न का स्वामी, सातवे भाव का स्वामी दसवे घर में मौजूद हो और दसवे घर का स्वामी नवे घर के स्वामी के साथ मौजूद हो तो श्रीनाथ योग का निर्माण होता है. इसके प्रभाव से जातक को धन नाम, यश, वैभव की प्राप्ति होती है.
  7. शंख योग : अगर लग्न मजबूत हो या फिर लग्न का स्वामी शक्तिशाली हो, पांचवे और छठे घर का स्वामी केंद्र में बैठे हो, साथ ही लग्न और दसवे घर का स्वामी चार राशि के साथ बैठे हो तो शंख योग बनता है. इस योग के कारण जातक इमानदार, पवित्र भावनाओं वाला, बुद्धिमान, दयावान बनता है और दीर्घायु होता है.
  8. शाशक योग: ये भी एक महत्त्वपूर्ण योग है लग्नाधिपति शनि किसी केंद्र स्थान में मौजूद हो. ऐसे लोग संगठन बनाने में माहिर होते हैं और जीवन का आनंद लेते हैं.
अतः यहाँ कुछ शुभ योगो की जानकारी दी गई है परन्तु किसी भी निर्णय पर बिना अच्छे ज्योतिष से सलाह लिए नहीं पहुचना चाहिए.

Difference between Normal And Rajyog Kundli:

विषयसाधारण कुंडलीराजयोग कुंडली
नाम/यश/ख्याति
शिक्षा में सफलता आसानी से
प्रेम जीवन में सफलता आसानी से
नौकरी में उच्च पद आसानी से
संतोषजनक वित्तीय स्थिति
समाज में उच्च पद

कैसे राजयोग को मजबूत किया जा सकता है ?

अगर कुंडली में राज योग हो और वो कमजोर हो तो नव रत्नों की सहायता से, मंत्र जप आदि करके भी जीवन को सफल बनाया जा सकता है.
और ये बात भी ध्यान रखना चाहिए की राज योग नहीं होने पर भी व्यक्ति बहुत सफल हो सकते हैं अगर कुंडली में ग्रह शुभ, शक्तिशाली हो.


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Angarak Yog Ke Prabhav Vibhinn Kundli Ke Vibhinn Bhavo Me

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अंगारक योग का प्रभाव कुंडली के विभिन्न भावो में, कैसे निजात पाए अंगारक योग के दुष्प्रभाव से. 
kundli me angarak hone se kya hota hai
angark yog in hindi jyotish


अंगारक योग ज्योतिष के अंतर्गत एक समस्या उत्पन्न करने वाला योग है जो की जिसके कुंडली में होता है उसके जीवन में विपरीत प्रभाव उत्पन्न करता. जितनी जल्दी हो सके इसके परिहार के लिए कदम उठाना चाहिए अन्यथा कामकाजी और व्यक्तिगत जीवन दोनों ही प्रभावित होता है.
ज्योतिष संसार के इस लेख में हम जानेंगे की अलग कुंडली के अलग अलग भावो में अंगारक योग क्या प्रभाव उत्पन्न करता है.
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में मौजूद १२ भाव अलग अलग विषयो से जुड़े है इसी कारण किसी भी योग का प्रभाव में अलग अलग होता है. कुछ लोग दुर्घटना का शिकार होते हैं, कुछ लोगो को स्वास्थ्य हानी होती है, कुछ लोगो को आर्थिक तंगी का सामना करना होता है, कुछ लोगो को प्रेम में परेशानी आती है कुछ लोगो को संबंधो में समस्याओं का सामना करना होता है आदि.

आइये जानते हैं की अंगारक योग का प्रभाव कुछ विशेष भावो के हिसाब से क्या हो सकता है जीवन में :

  1. अगर कुंडली के पहले भाव में अंगारक योग बने तो क्या होगा – कुंडली में पहला भाव दिमाग से सम्बन्ध रखता है, संबंधो से सम्बन्ध रखता है, निर्णय लेने की क्षमता से सम्बन्ध रखता है, शान्ति से सम्बन्ध रखता है आदि. अतः अगर इस घर में अंगारक योग का निर्माण हो तो जातक को गुस्सेल बना सकता है साथ ही अनावश्यक भय दे सकता है. अस्थिरता के कारण जीवन हमेशा उलझा हुआ सा महसूस हो सकता है. व्यवहार में उत्तेजना के कारण भी समस्या उत्पन्न होती है.
  2. अगर कुंडली के चौथे भाव में अंगारक योग बने तो क्या होगा – कुंडली का चौथा भाव खुशी से सम्बन्ध रखता है , माता से सम्बन्ध रखता है. अतः अगर अंगारक योग कुंडली के चौथे भाव में बने तो जातक के जीवन में खुशी पाने में हमेशा बाधा उत्पन्न होती रहती है, माता के स्वास्थ्य पर इसका असर पड़ सकता है या फिर माता से सम्बन्ध ख़राब हो सकते है.
  3. अगर कुंडली के सातवे भाव में अंगारक योग बने तो क्या होगा – कुंडली का सातवां भाव विवाह, दोस्ती, साझेदारी आदि से सम्बन्ध रखता है अतः अगर इस भाव में अंगारक योग का निर्माण हो तो विवाह में देरी हो सकती है, विवाह के बाद तलाक हो सकता है, साझेदारी के काम में परेशानी उत्पन्न हो सकती है, वैवाहिक जीवन तनावपूर्ण हो सकता है.
  4. अगर कुंडली के दसवे भाव में अंगारक योग बने तो क्या होगा – कुंडली का दसवां घर काम काज से सम्बन्ध रखता है अतः जातक को स्थिर काम काज के साधन मिलने में समस्या आती है. कुछ जातको को सही माहोल नहीं मिल पता, मेहनत का पूरा फल नहीं मिल पाता, व्यापार में भी घाटा हो सकता है.
अतः अलग अलग भावो में अंगारक योग के अलग अलग प्रभाव हो सकता हैं. अतः ये जरुरी है की समस्याओं को कम करने के लिए सही कदम उठाया जाए. 

उचित समाधान के लिए ज्योतिष से संपर्क करना चाहिए.
दिखाए अपनी कुंडली ज्योतिष को और पाए उचित और आसान समाधान समस्याओं का

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Kundli Me Shubh Aur Ashubh Yog In Hindi

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कुंडली में शुभ और अशुभ योग, जानिए कुछ शुभ और अशुभ योगो का जीवन पर प्रभाव ज्योतिष द्वारा.
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Kundli Me Shubh Aur Ashubh Yog In Hindi
कुंडली हमारे जीवन का दर्पण है और ज्योतिष कुंडली को पढ़कर हमे मार्गदर्शन कर सकता है की क्या करना चाहिए और क्या नहीं. कुंडली में ग्रह विभिन्न प्रकार से विभिन्न भावों में बैठते हैं जिससे की भिन्न –भिन्न प्रकार के योगो का निर्माण होता है. ये जरुरी नहीं की सभी कुंडली में कोई न कोई योग बने. किसी योग के न होने से शुभ या अशुभ होने का निर्णय नहीं लिया जा सकता है. अतः योगो पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए.
परन्तु यहाँ जानकारी के लिए कुछ शुभ और अशुभ योगो का वर्णन किया जा रहा है. किसी भी निर्णय पर पहुचने से पहले अच्छे ज्योतिष से परामर्श अवश्य ले.

आइये अब जानते है कुछ कुंडली में बनने वाले कुछ शुभ योगो के बारे में –

  1. वज्र योग – यदि सभी शुभ ग्रह लग्न और सप्तम भाव में विराजमान हो या फिर सभी पाप ग्रह चतुर्थ और दशम भाव में विराजमान हो तो वज्र योग का निर्माण कुंडली में होता है. इस योग के प्रभाव से जातक सुखी, शूर-वीर, सुन्दर होता है. ऐसे जातक पुलिस या सेना में भी सफलता पुर्वक काम करते हैं.
  2. यव योग – यदि समस्त पाप ग्रह लग्न और सप्तम भाव में बैठ जाएँ या फिर सभी शुभ ग्रह चतुर्थ और दशम भाव में बैठ जाएँ तो यव योग का निर्माण होता है. ऐसे जातक व्रत, नियम में रहते हैं, सुखी, धनवान, स्थिर बुद्धि के होते हैं. युवा अवस्था में सभी प्रकार के सुख प्राप्त कर लेते हैं.
  3. श्रृंगाटक योग – जब सभी ग्रह प्रथम, पांचवे और नवे भाव में बैठ जाएँ तो ये योग बनता है. ऐसे जातक वीर और कर्मठ होते हैं, सुन्दर पत्नी प्राप्त करते हैं, सरकारी कर्मचारी होते हैं, सेना में भी सफलता प्राप्त करते हैं.
  4. कमल योग – यदि कुंडली में सभी ग्रह प्रथम, चतुर्थ और दसवे स्थान में हो तो कमल योग का निर्माण होता है. ऐसे जातक दीर्घायु, यशस्वी, विजयी, मंत्री या राज्यपाल बनने की शक्ति रखते हैं. कमल योग के कारण जातक अधिकारी जरुर बनता है या फिर बहुत सफल सलाहकार बनते हैं.
  5. युप योग – यदि कुंडली में लग्न से चतुर्थ स्थान तक सभी ग्रह विराजित हो जाए तो युप योग बनता है. ऐसा जातक यज्ञकर्ता, स्त्री सुखी, ज्ञानी, ताकतवर, अनुशाशन में रहने वाला होता है. ऐसा व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता बहुत अच्छी होती है जिसके लिए उसे समाज में जाना भी जाता है.
  6. छत्र योग – यदि कुंडली में सप्तम से लेके लग्न तक सारे ग्रह बैठ जाए तो छत्र योग का निर्माण होता है, ऐसा जातक उच्च पदाधिकारी, भरण-पोषण करने वाला, लोक प्रिय और इमानदार होता है.
  7. मुसल योग – यदि कुंडली में सभी ग्रह स्थिर राशियों में हो तो मुसल योग का निर्माण होता है. ऐसा जातक धनी, ज्ञानी, समझदार, प्रसिद्द और शासन अधिकारी होता है.
  8. नल योग – यदि सभी ग्रह द्विस्वभाव राशियों में विराजित हो तो नल योग का निर्माण होता है. ऐसा जातक कूट निति बनाने में माहिर होता है अतः राजनीती में सफलता प्राप्त करता है.
  9. माला योग – यदि कुंडली में बुध, गुरु और शुक्र चोथे, सातवे, और दसवे स्थान में बैठे हो तो ये योग बनता है. ऐसा व्यक्ति विलासितापूर्ण जीवन यापन करता है. सुख सुविधा के लिए सारी चीजे उसे प्राप्त होती है.
  10. गदा योग – यदि सभी ग्रह प्रथम या चोथे भाव में हो या फिर सातवे या दसवे भाव में हो तो गदा नमक योग बनता है. इस योग के प्रभाव से जातक धनि, ताकतवर, धर्मात्मा और शास्त्रज्ञ, संगीतप्रिय होता है.
  11. पक्षी योग – जब कुंडली के चतुर्थ और दशम स्थान में सभी ग्रह आ जाएँ तो पक्षी योग का निर्माण होता है इस योग के प्रभाव से जातक भ्रमणशील होता है, गुप्त कार्यो में संलग्न रह सकता है, हठी भी होता है.
  12. चक्र योग – यदि लग्न से शुरू होकर प्रथम भाव, तृतीय भाव, पंचम भाव, सप्तम भाव, नवम भाव और एकादश भाव में सभी ग्रह हो तो चक्र योग का निर्माण होता है. ये एक राज योग होता है और जातक को राजा के सामान पद और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है.
  13. पर्वत योग- यदि केंद्र स्थानों में शुभ ग्रह हो , सप्तम और अष्टम भाव खाली हो या फिर इनमे शुभ ग्रह हो तो पर्वत योग बनता है. इसके कारण जातक भाग्यशाली होता है, वक्ता बनता है, लेखक बनता है, तेजस्वी होता है. ये योग भी पद और प्रतिष्ठा प्रदान करता है.
  14. समुद्र योग – जब दुसरे, चोथे, छठे , आठवे, दसवे और बारहवे भाव में सभी ग्रह आ जाएँ तो समुद्र योग बनता है. इससे जातक भोगी, धन –धान्य से भरपूर, लोकप्रिय, वैभवशाली होता है.
  15. केदार योग – अगर कुंडली में किन्ही ४ राशियों में सारे ग्रह हो तो केदार योग का निर्माण होता है. इस योग से जातक कृषि कार्य में सफलता पाता है, वो सुखी, सत्यवक्ता, धनवान होता है.
  16. वीणा योग – ७ राशियों में अगर सारे ग्रह आ जाए तो विणा योग बनता है. इसके कारण जातक कला में रूचि रखता है. गीत, संगीत, नृत्य आदि में रूचि रखता है. राजनीती में भी सफलता प्राप्त करता है.
  17. गजकेसरी योग – लग्न अथवा चन्द्रमा से शुभ गुरु केंद्र में हो और शुभ ग्रह से दृष्ट हो तो गजकेसरी योग का निर्माण कुंडली में होता है. इसके कारण जातक को मान, प्रतिष्ठा , धन , सुख मिलता है.
  18. मल कीर्ति योग – लग्न या चन्द्रमा से दशम भाव में अगर शुभ ग्रह हो तो ये योग बनता है. इस योग के कारण व्यक्ति समाज में सम्मानजनक स्थान पाता है, जातक दानी और परोपकारी होता है, भोगी भी होता है.
  19. कूर्म योग -  अगर शुभ ग्रह पांचवे, छठे, सातवे भाव में बैठे. पाप ग्रह प्रथम, तृतीया और ग्यारहवे भाव मे अपने उच्च राशि में बैठे तो कूर्म योग बनता है. ऐसा व्यक्ति धर्मात्मा, धीर, मुखिया, गुनी, यशस्वी, सुखी होता है.
  20. चमार योग – उच्च का लग्नेश केंद्र में हो और उस पर गुरु की दृष्टि हो अथवा शुभ ग्रह लग्न, नवं, दशम और सप्तम भाव में हो तो चामर योग होता है. ऐसा जातक राजमान्य, दीर्घायु, पंडित, वक्ता और कलाओं का जानकार होता है.
  21. शंख योग – लग्नेश बलि हो साथ ही पंचमेश और षष्ठेश परस्पर केंद्र में हो अथवा भाग्येश बलि हो तथा लग्नेश और दशमेश चर राशी में हो तो शंख योग बनता है. ऐसा जातक दयालु, पुण्यात्मा, बुद्धिमान होता है.
  22. भेरी योग – अगर नवमेश बाली हो और सभी ग्रह प्रथम, द्वितीय, सप्तम, बारहवे भाव में हो तो भेरी योग बनता है अथवा लग्नेश बाली हो साथ ही शुक्र, गुरु और लग्नेश केंद्र में हो तो भी भेरी योग बनता है.
  23. लक्ष्मी योग – लग्नेश यदि बलवान हो और भाग्येश अपने मूल त्रिकोण, उच्च या स्वराशी में स्थित होकर केन्द्रस्थ हो तो लक्ष्मी योग होता है. ऐसा जातक पराक्रमी, धनी, यशस्वी, होता है. ऐसा व्यक्ति मंत्री बन्ने की शक्ति भी रखता है.
  24. कुसुम योग – लग्न में यदि स्थिर राशि हो , शुक्र केंद्र में हो , चन्द्रमा त्रिकोण में शुभ ग्रहों से युक्त हो तथा शनि दशम स्थान में हो तो कुसुम योग बनता है. ऐसा जातक सुखी , भोगी, विद्वान् होता है. ऐसा जातक मंत्री पद प्राप्त करता है.
  25. आधी योग – चन्द्रमा से छठे, सातवे, आठवे स्थान में शुभ ग्रह हो तो अधि योग बनता है. ऐसा व्यक्ति मंत्री, राज्यपाल आदि पद प्राप्त कर सकता है. ऐसा व्यक्ति अपने बुद्धि के कारण समाज में अलग पद प्राप्त करता है.
  26. सुनफा योग – चन्द्रमा से द्वितीय स्थान में सूर्य को छोड़कर अगर कोई अन्य शुभ ग्रह हो तो सुनफा योग बनता है. ऐसा जातक धन और ऐश्वर्य प्राप्त करता है.
  27. अनफा योग – चन्द्रमा से द्वादश भाव में अगर सभी शुभ ग्रह हो तो ये योग बनता है. ऐसा व्यक्ति अपनी शक्ति और पराक्रम से सफलता प्राप्त करता है.
  28. २८.भास्कर योग – यदि सूर्य से द्वितीय भाव में बुध हो, बुध से एकादश भाव में चन्द्रमा हो और चन्द्रमा से त्रिकोण में गुरु हो तो भास्कर योग बनता है. ऐसा जातक पराक्रमी, रूपवान, गणितग्य,धीर और समर्थ होता है.
  29. इंद्र योग – यदि चंद्रमा से तृतीय स्थान में मंगल हो और मंगल से सप्तम में शनि हो, शनि से सप्तम में शुक्र हो और शुक्र से सप्तम में गुरु हो तो इंद्र योग बनता है. ऐसा जातक ऐश्वर्यशाली, धनवान, विलासी, प्रसिद्द, बुद्धिमान होता है.

आइये अब जानते है कुछ अशुभ योगो के बारे में :

  • रज्जू योग – सब सभी ग्रह चर राशियों में हो तो राज्जुयोग बनता है. इस योग में उत्पन्न मनुष्य भ्रमणशील, सुन्दर, परदेश जाने में सुखी, क्रूर , दुष्ट स्वभाव वाला होता है. ऐसा व्यक्ति स्थान बदलता तो तरक्की करता रहता है. 
  • सर्प योग – सूर्य , शनि और मंगल यदि चोथे, सातवे और दसवे स्थान में हो और चन्द्र, गुरु , शुक्र और बुध इनसे अलग स्थानों में स्थित हो तो सर्प योग होता है. ऐसा जातक कुटिल, चालाक, निर्धन, दुखी, दीं, भीक्षा करने वाला होता है. ऐसे व्यक्ति की निंदा भी बहुत होती है. 
  • शकट योग – चतुर्थ और दशम भाव में अगर सभी ग्रह हो तो पक्षी योग होता है. इस योग में जन्म लेने वाला जातक गुप्तचर, चुगल खोर , भ्रमणशील, ढीठ, कलहप्रिय होता है. 
  • हल योग – अगर सभी ग्रह दुसरे, छठे, दशवे स्थान में हो या फिर तीसरे, सातवे और ग्यारहवे स्थान में हो या फिर चोथे, आठवे और बारहवे भाव में हो तो हल योग होता है. ऐसा व्यक्ति दरिद्र, कृषक, दुखी होता है. 
  • शर योग – चोथे, पांचवे, छठे और सातवे स्थान में अगर सभी ग्रह स्थित हो तो शर योग बनता है. इस योग वाला व्यक्ति शिकारी, गलत कार्यो में लिप्त होता है. ऐसा व्यक्ति दुराचारी भी होता है. 
  • शक्ति योग – अगर सातवे से लेके दसवे भाव तक सभी ग्रह मौजूद हो तो शक्ति योग बनता है. इस योग के होने से जातक धन हीन, निष्फल, दुखी, आलसी, निर्दयी होता है. 
  • दंड योग – दसवे से लेके लग्न तक में अगर सभी ग्रह मौजूद हो तो दंड योग बनता है. ऐसा व्यक्ति निर्धन, दुखी, नीच कर्म करने वाला होता है. ऐसे व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने में बहुत कठिनाई होती है.
  • गोल योग – अगर सभी ग्रह एक राशि में हो तो गोल योग बनता है. ऐसा व्यक्ति चालाकी से कार्य करता है. संघर्ष अत्यधिक करता है. 
  • युग योग – अगर सभी ग्रह २ राशियों में मौजूद हो तो युग योग होता है. ऐसा व्यक्ति पाखंडी, निर्धन, समाज से निष्काषित, माता पिता के सुख से रहित, धर्म हीन और अस्वस्थ होता है. 
  • शूल योग – अगर ३ राशियों में सभी ग्रह हो तो शूल योग होता है ऐसा व्यक्ति आलसी , निर्धन, हिंसक, शूर, क्रोधी होता है. 
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तो ऊपर कुछ महत्त्वपूर्ण योगो की जानकारी दी गई है, “www.jyotishsansar.com “ के पाठक निश्चय ही इस लेख से ज्योतिष में योगो के विषय में बहुत जानकारी हासिल कर पायेंगे.


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Janmashtmi Mahattw In Hindi and Jyotish

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Janmashtmi Mahattw in hindi, 2019 जन्माष्टमी का क्या महत्तव है, क्या करे सफलता के लिए कृष्णा जन्माष्टमी पर, ज्योतिष और जन्माष्टमी, घर में जन्माष्टमी मनाने का आसान तरीका.
Janmashtmi Mahattw In Hindi and Jyotish
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कृष्ण जन्माष्टमी एक ऐसा उत्सव है जो की सिर्फ भारत में ही नहीं अपितु संसार के कई देशो में बहुत धूम धाम से मनाया जाता है. इसका कारण ये है की कृष्ण भक्त पुरे संसार में फैले हुए हैं.
जन्माष्टमी वह दिन हैं जब कृष्ण जी ने धरती पर जन्म लिया था.
कृष्ण जी को भगवान् विष्णु का अवतार माना जाता है और उनके अवतार लेने की दिव्या घटना अष्टमी की रात्री को घटी थी हिन्दू पंचांग के हिसाब से. अतः तभी से जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाने लगा. इस दिन लोग पूरी रात लोग नाम संकीर्तन , कृष्ण मंत्र का जप आदि किया करते हैं.

कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव:

इस रात्रि का इन्तेजार भक्त लोग पुरे साल करते हैं, पूरी रात भक्तगण कृष्ण नाम के साथ झूमते हैं , गाते हैं, जगह जगह झांकियां सजाई जाती हैं, लोग घरो में भी झांकियां सजाते हैं और उत्सव मानते हैं.
झूला लगाया जाता है, उसमे बालगोपाल की मूर्ती रखी जाती है, रात्रि को लोग ह्रदय से बड़े हर्ष और उल्लास के साथ पूजन करते हैं बालगोपाल का.

आइये जानते हैं जन्माष्टमी का ज्योतिषी महत्तव:

हिन्दू ग्रंथो के अनुसार साल में 4 ऐसी रात्रियाँ आती है जिनको की महारात्रिकहा जाता है. ये है- ‘शिव रात्रि ’, ‘होली रात्री’, ‘दिवाली रात्रि’ और ‘जन्माष्टमी रात्रि’.
जन्माष्टमी को ‘मोहरात्रि’के नाम से भी जाना जाता है. जन्माष्टमी की रात्रि का बहुत महत्तव है और ये रात तंत्र, मंत्र, साधना को सिद्ध करने के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है. इसी कारण तांत्रिक, अघोरी लोग, साधक गण मान्त्रिक इस रात का पुरे वर्ष इन्तेजार करते हैं.
इस रात्रि को वशीकरण क्रियाओं को भी सिद्ध किया जाता है. 
साधारण लोग भी इस रात का उपयोग दिव्य कृपा को प्राप्त करने के लिए करते हैं और इसके लिए नाम जप और संकीर्तन का सहारा लेते हैं.
जन्माष्टमी की रात्रि एक दिव्य रात्रि है और पूरा वातावरण कृष्णमय हो जाता है इस दिन और रात को. भगवान् कृष्ण का जन्म धरती पर से पापियों के नाश के लिए हुआ था और उन्होंने ये काम बहुत अच्छी तरह से किया , इसी कारण लोग उनको आज भी पूजते हैं जिससे की उनके जीवन से भी नकारात्मकता का नाश हो. 

दही-हांडी के खेल का महत्तव जन्माष्टमी को :

कृष्ण जन्म के अवसर पर एक विशेष आयोजन होता है और उसे कहते हैं दही-हांडी फोड़ प्रतियोगिता, इसके अंतर्गत एक निश्चित ऊँचाई पर एक हांडी या मटकी में दही भर के लटका दिया जाता है और लोगो को आमंत्रित किया जाता है इसे फोड़ने के लिए , जो फोड़ता है उसे इनाम भी मिलता है. इसको देखने के लिए लोगो की भीड़ लगी रहती है. 
वास्तव में ये प्रतियोगिता कृष्ण जी के नटखट स्वभाव को याद करने के लिए किया जाता है, कृष्ण जी जब छोटे थे तो माखन चुरा के खा लिए करते थे, और गोपियों की मटकी फोड़ दिया करते थे. आज भी लोग उनकी शैतानियों को याद करके खुश होते हैं और विभिन्न आयोजन करते हैं.

2019 के कृष्ण जन्माष्टमी का महत्तव :

इस साल जन्माष्टमी 23 August 2019 को आ रही है, दिन है Shukrawaar और इसी कारण इसका महत्तव और भी बढ़ जाता है. 

जो लोग अध्यात्मिक साधना करना चाहते हैं उनके लिए ये दिन श्रेष्ठ है, जो तंत्र मंत्र साधना करना चाहते हैं या अन्य कोई साधना करना चाहते हैं उनके लिए भी ये दिन शुभ है.
इस समय सूर्य, मंगल और गुरु अपने मित्र राशि में रहेंगे जिससे समय शुभ रहेगा.
जन्माष्टमी को पूजा अर्चना करके विभिन्न प्रकार के कष्टों से मुक्ति पाई जा सकती है.

घर में जन्माष्टमी उत्सव मनाने का आसान तरीका :

  1. घर में किसी जगह को साफ़ करे और पवित्र जल छिड़क कर जगह को शुद्ध भी करे.
  2. वहाँ पर झुला लगाएं, बाल गोपाल जी की मूर्ति या फोटो लगाए और अपनी क्षमता के अनुसार आकर्षक सजाये.
  3. वहाँ पर पंचामृत, कपडे, भोग, धुप , दीप, शंक, फूल आदि
  4. ठीक अर्ध रात्रि में बाल गोपाल की पूजा करे, इसके लिए उनका अभिषेक करे, उन्हें नए वस्त्र पहनाये फिर उनका पूजन कर भोग अर्पित करे , आरती करे और जीतना हो सके कृष्ण मंत्र जपे. फिर स्वास्थ्य और सम्पन्नता के लिए प्रार्थना करे.
  5. फिर प्रसाद बांटे घर के लोगो में, पड़ोसियों में, भक्तो में.
इस प्रकार से कोई भी बहुत आसान तरीके से घर में भी पूजन कर सकते हैं बल गोपाल का.
जन्माष्टमी की पूजा से स्वास्थ्य और सम्पन्नता प्राप्त किया जा सकता है.
जन्माष्टमी की पूजा से काले जादू के असर को भी ख़त्म किया जा सकता है.
बुरी नजर की समस्या से भी निजात पाई जा सकती है.
अतः इस पवित्र और शक्तिशाली रात्री का स्तेमाल करे और बनाए अपने जीवन को धन्य.
जय श्री कृष्णा

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Kya Daan Kare Jyotish Anusaar

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क्या दान करे, जानिए कौन सी चीजे किन ग्रहों से जुड़े हैं, ग्रह शांति के लिए क्या दान करे?, क्यों मदद करे किसी की ज्योतिष अनुसार?
ऐसी मान्यता है की दान हमारे परेशानियों का हल है, बहुत से फायदे होते किसी को जरुरत की चीजे देने के, क्यूंकि जब हम किसी को कुछ देते हैं तो वो हमे प्रसन्न होक आशीर्वाद देता है, हमे दुआएं देता है जो हमारे जीवन को बदलने में बहुत काम करता है. 
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Kya Daan Kare Jyotish Anusaar
  • कुछ लोग अपने भावी जीवन को सुधरने के लिए दान करते हैं?
  • कुछ मृत्यु के बाद सद्गति के लिए दान करते हैं.
  • कुछ प्रसन्नता के लिए दान करते हैं?
  • कुछ ईश्वर की कृपा के लिए धन्यवाद देने हेतु दुसरो की मदद करते हैं.
  • और कुछ ग्रह दोषों को कम करने हेतु दान करते हैं.

ज्योतिष के अनुसार क्या दान करे?

ये एक अति महत्त्वपूर्ण सवाल है की क्या दान करे, तो इसके बारे में ज्योतिष में उल्लेख है की जिन ग्रहों के कारण जीवन में समस्याएं आ रही है उन ग्रहों से सम्बंधित चीजो का दान हमारे जीवन के लिए शुभ होता है.
हम अन्नदान, वस्त्रदान, विद्यादान, धनदान आदि कर सकते हैं अपनी और दुसरो के जरूरत अनुसार. 
देते रहने से कभी कुछ घटता नहीं है, जब हम देते हैं और ईश्वर हमे और देता है, इस नश्वर संसार में कोई भी चीज हमेशा के लिए हमारे पास नहीं रहती है अतः देते रहना चाहिए, इससे हमारे अन्दर असीम शांति की अनुभूति होती रहती है और दुसरो की दुआएं भी हमारे जीवन को बदलती है.
दान करने से पहले अपनी कुंडली अच्छे ज्योतिष को दिखा के ये जानिए की आपके लिए कौन से ग्रह का दान सबसे श्रेष्ठ होगा.

आइये अब जानते हैं की कौन से वस्तु किन ग्रहों से सम्बन्ध रखते हैं?

  1. सूर्य से सम्बन्धी वस्तुएं – माणिक्य, तम्बा, सोना, गाय, लाल कपडे, घी, केसर, गुड़, गेहू आदि.
  2. चन्द्रमा से सम्बंधित वस्तुएं – मोती, चावल, सफ़ेद कपडे, शंख आदि.
  3. मंगल से सम्बन्धी वस्तुएं - मूंगा, लाल मसूर दाल, लाल कपड़े, तम्बा, गुड़ आदि.
  4. बुध से सम्बन्धी वस्तुएं - पन्ना, हरे कपडे, हरी घास, आदि.
  5. गुरु से सम्बन्धी वस्तुएं - पुखराज, पीले कपड़े , हल्दी, चने, किताबे आदि.
  6. शुक्र से सम्बन्धी वस्तुएं - हीरा, चांदी, इत्र, सुगन्धित वस्तुएं, श्रृंगार का सामान अदि.
  7. शनि से सम्बन्धी वस्तुएं - लोहा, काला टिल, उरद डाल, नीलम , कुल्थी, कम्बल, काली गाय, जूते, तेल आदि.
  8. राहू से सम्बन्धी वस्तुएं - गोमेद रत्न, उरद दाल, रांगा, अलसी का तेल आदि.
  9. केतु से सम्बन्धी वस्तुएं - तिल , कम्बल लोहा आदि.

तो ऊपर हमने देखा है की कौन सी वस्तुएं किन ग्रहों से सम्बन्ध रखते हैं, ज्योतिष से कुंडली दिखा के आप सम्बंधित वास्तु के दान करके अपने जीवन को बाधाओं से मुक्त कर सकते हैं.



क्या दान करे, जानिए कौन सी चीजे किन ग्रहों से जुड़े हैं, ग्रह शांति के लिए क्या दान करे?, क्यों मदद करे किसी की ज्योतिष अनुसार?

Laxmi Prapti Ke Upaay In Hindi

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लक्ष्मी प्राप्ति के उपाय हिन्दी में, कैसे प्रसन्न करे लाक्स्मीजी को, वित्तीय समस्याओं को दूर करने के उपाय जानिए, कैसे ज्योतिषीय उपायों द्वारा हम अपने जीवन को सरल और मजबूत बना सकते हैं, स्थिर लक्ष्मी के लिए सरल उपाय.

कौन नहीं चाहता है की महालाक्स्मीजी की असीम कृपा उस पर हो, कौन नहीं चाहता है की एक सुखी और समृद्ध जीवन जिए, कौन नहीं चाहता है की एक सफल जीवन जीए. परन्तु इन सब के लिए जरुरत है धन की और यही कारण है की पूरी दुनिया में लोग धन की देवी लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए प्रयास करते रहते हैं. पुरे विश्व में लोग अलग अलग प्रकार के पूजा पाठ से धन देवी को प्रसन्न करने का प्रयास करते नजर आते हैं. 
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Laxmi Prapti Ke Upaay In Hindi

इनकी पूजा के लिए अलग अलग प्रकार के त्योहारों में विभिन्न प्रकार के टोटके किये जाते हैं, पूजाए की जाती है, कर्म काण्ड किये जाते हैं. धन की शक्ति को हम अपने जीवन से नजर अंदाज नहीं कर सकते हैं. इसी कारण इस लेख में हम ये जानेंगे की किस प्रकार हम अपने जीवन में धन का आगमन करवा सकते है, किस प्रकार हम धनि बन सकते है कुछ ज्योतिषीय उपाय, कुछ टोटके और कुछ वास्तु के उपाय अपनाकर. laxmi prapti ke upaay, apaar laxmi prapti ke upaay, laxmi prapti hetu totke, laxmi prapti pooja in hindi, jyotish se laxmi prapti.

साधारणतः निम्न सवाल पूछे जाते हैं लोगो द्वारा:

  1. हमारे पास इतना भी धन नहीं आता है की जरुरत पूरी की जा सके क्या करे.
  2. कुछ कहते हैं की पैसा तो बहुत आता है परन्तु जाता कहाँ है ये नहीं पता.
  3. कुछ पूछते हैं स्थिर लक्ष्मी के लिए क्या करना चाहिए.
  4. कुछ अलग अलग रास्ते से धन कमाना चाहते हैं सफलता पूर्वक. 
बहुत ही अजीब बात है की कुछ लोग जिनके पास धन तो अपार है परन्तु निवेश करने की जगह नहीं मिलती और कुछ लोग जिनके पास ज्ञान है , हुनर है उनके पास धन नहीं है की ठीक ढंग से जीव यापन कर सके. 
वे व्यापारी किस्मत वाले है जिनका व्यापार सुचारू रूप से चलता रहता है, वे नौकरी पेशा व्यक्ति सौभाग्यशाली है जिनकी कम्पनी सुचारू रूप से चल रही है, वे लोग भाग्यशाली है जिनके पास आय के स्त्रोत है और बने हुए है.
ये एक मान्यता है की लाक्स्मीजी की कृपा से व्यक्ति धनि और संपन्न हो जाता है इसी कारण उन्हें प्रसन्न करने के यत्न किये जाते हैं. 

जानिये कुछ रहस्य लाक्स्मीजी की कृपा प्राप्त करने हेतु :

  1. लाक्स्मीजी उस व्यक्ति पर जरुर प्रसन्न होती है जो इमानदारी से अपने क्षेत्र में कार्य करते हैं.
  2. ये जरुरी नहीं की लाक्स्मीजी की पूजा से ही धन का आगमन होता है बल्कि इमानदारी, शुद्ध ह्रदय, आगे बढ़ने की ख्वाइश ये सब भी अपना बहुत महत्तव रखते हैं.
  3. कड़ी मेहनत करना होती है लक्ष्मीजी की कृपा प्राप्त करने हेतु.
  4. साधक के लिए ये जरुरी है की लगातार अभ्यास करे मंत्रो का श्रद्धा और भक्ति के साथ. 
  5. महालक्ष्मी गुरु भक्तो से भी प्रसन्न होती है.
  6. जो लोग दिखवा किये बिना उनका पूजन करते हैं उनपर बहुत आसानी से लक्ष्मी जी की कृपा बरसती है.
  7. अपने इष्ट देवता की कृपा से भी माँ की कृपा बरसती है.
  8. अपने मन, घर, ऑफिस, व्यापार स्थल को साफ़ रखने पर भी लाक्स्मीजी की कृपा बरसने लगती है.
  9. शुद्ध ह्रदय से की गई प्रार्थना से भी माँ प्रसन्न होती है.

कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए :

  • अगर घर में माता पिता, भाई, बहन, पत्नी, आदि को कोई कष्ट पहुचता है तो वो अनायास ही महालक्ष्मी के श्राप का भागी होता है. अतः सब को प्रसन्न रखे , सभी से अच्छा व्यवहार करे.
  • अगर किसी को सूक्ष्म शक्तियों पर भरोसा नहीं तो वो भी माँ की कृपा का अनुभव नहीं कर सकता है.
  • अगर कोई किसी का दिल दुखता है तो भी वो साधना में सफल नहीं हो पता है.
  • अगर आपके गुरु आपसे प्रसन्न नहीं तो लक्ष्मी जी की कृपा भी प्राप्त नहीं कर सकते हैं.
  • आपका अगर उद्देश्य सही नहीं तो भी लक्ष्मी साधना में सिद्धी प्राप्त करना आसान नहीं है.
  • अगर आप किसी प्रकार का नशा करते हैं तो भी आपको संतोषप्रद धन की प्राप्ति नहीं हो पाएगी.

आइये अब जानते हैं ज्योतिष, वास्तु और टोटको द्वारा धन प्राप्ति के उपाय:

अगर आप मेहनती है, माता पर विश्वास है , खुद की शक्तियों पर भरोसा करते हैं तो भी निश्चित ही आप लक्ष्मीजी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं.

आइये जानते हैं वास्तु के कुछ तरीके सम्पन्नता के लिए :

  1. घर की सफाई हमेशा सूर्योदय से पहले करना चाहिए, इससे धन लक्ष्मीजी की कृपा बरसती है.
  2. घर के कोनो को हमेशा साफ़ रखना चाहिए जैसे ईशान कोण, आग्नेय कोण, वायव्य कोण, नैरत्य कोण. कोनो में गंदगी धनागमन को रोक सकती है.
  3. अगर आपके उत्तर-पूर्व कोने में समस्या है तो आपको रोज किसी ब्राह्मण का आशीर्वाद लेना चाहिए.
  4. अगर आपके उत्तर-पश्चिम कोने में समस्या है तो आपको माता का आशीर्वाद रोज लेना चाहिए. 
  5. अगर आपके नैरत्य कोण में कोई समस्या है तो रोज पितरो का आशीर्वाद ले फिर काम के लिए निकले.
  6. अगर आग्नेय कोण ठीक नहीं है तो युवा लोगो को प्रेम करे, उनकी विशेष ले , माता के मंदिर में दिया जलाए. 
  7. हर अमावस्या को घर में सफाई करके गंगाजल का छिडकाव जरुर करना चाहिए.
  8. अमावस्या और पूर्णिमा को शेत्रपाल के नाम से घर के , व्यापार स्थल के चारो कोनो में दीपक जलाना चाहिए. 
  9. घर, दूकान और अन्य स्थान के दरवाजे पर सुरक्षा हेतु सिद्ध यन्त्र की स्थापना करना चाहिए ज्योतिष से सलाह ले के.

कुछ ज्योतिषीय सलाह लक्ष्मी प्राप्ति के लिए :

ये भी एक सच है की ज्योतिषीय सलाह के लिए जन्मकुंडली का विश्लेषण करना जरुरी है, क्यूंकि ज्योतिष ग्रह से चलता है. अतः किसी अच्छे ज्योतिष की सलाह लेके ही उपायों को करना उचित होता है. 
यहाँ पर कुछ आसान उपाय दे रहे है जिनका लाभ पाठक गण ले सकते हैं –
  • एक आदत बनाए की रोज किसी भी मंदिर में जाए और दर्शन करके वह देवी या देवता को लौंग अर्पित करे, वह आय के स्त्रोत खोलने के लिए भी प्रार्थना करे.
  • एक सिद्ध श्री यन्त्र की स्थापना करके उसकी नियमित पूजा करना चाहिए. समय समय पर उसका अभिषेक करना भी उचित है.
  • अगर किसी ग्रह के कारण लग्न, लाभ स्थान, आय स्थान बाधित हो रहा हो तो उसका दान और शान्ति पूजा करते रहना चाहिए.
  • अगर कोई धन सम्बंधित ग्रह कमजोर हो तो उसको मजबूत करने के उपाय करना चाहिए.
  • छोटी कन्याओं का आशीर्वाद लेते रहना चाहिए.
  • नवग्रह स्त्रोत का पाठ भी लाभदायक रहता है.

 आइये अब जानते है कुछ टोटके लक्ष्मी प्राप्ति के लिए :

  1. किसी शुभ महुरत में श्री यन्त्र का पेंडेंट पूजा करवाके धारण करना चाहिए. रोज उसे धुप दीप दिखाना चाहिए.
  2. बहुत ज्यादा धन की समस्या होतो शमशान में मौजूद कुँए के जल से पीपल के पेड़ का अभिषेक करना चाहिए.
  3. एक फिटकरी का टुकडा व्यापर या घर के दरवाजे के ऊपर लटकाना चाहिए.
  4. गुरुवार से शुरू करके रोज दूकान और मकान के दरवाजे के दोनों तरफ स्वस्तिक का निर्माण करना चाहिए और पूजा करना चाहिए.
  5. किसी के बारे में बुरा न सोचे और न ही करे. इससे धीरे धीरे आपक ओरा सकारात्मक होगा और आप संपन्न होते जायेंगे.
  6. दूकान और घर के मंदिर में पवित्र कलश की स्थापना करना चाहिए जाता वाले नारियल के साथ.
तो देखा आपने कुछ सरल उपायों द्वारा कैसे हम महालक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त कर सकते है, कैसे हम धन के रास्ते खोल सकते हैं, कैसे हम सुखी और संपन्न जीवन व्यतीत कर सकते है.



सभी स्वस्थ और संपन्न हो यही कामना करते है ज्योतिष संसार.
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Kaise Paaye Hanuman Puja Dwara Safaltaa

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कैसे पायें हनुमान पूजा से सफलता, कैसे प्रसन्न करे हनुमानजी को, हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने का सरल उपाय. 
पुरे ब्रह्माण्ड में जो राम भक्त के रूप में जाने जाते हैं, जो परम शक्तिशाली है, जो भक्तो के भक्त है, जो परम प्रतापी, परम बलशाली, परम भक्त है वो हमेशा भक्तो के कल्याण हेतु आतुर रहते हैं. हनुमान जी की पूजा से बहुत आसानी से भक्तगण भय से बाख जाते हैं, उनकी कृपा से बल, बुद्धि और विद्या से हम परिपूर्ण हो सकते हैं. 
हनुमान जी द्वारा कैसे कष्ट दूर करे ज्योतिष में
Kaise Paaye Hanuman Puja Dwara Safaltaa

आज के इस कलयुग में हनुमानजी एक ऐसे देवता है जो साक्षात मौजूद है ऐसी मान्यता है और लोगो के अनुभव भी है. अतः उनकी पूजा अराधना से तुरंत फल की प्राप्ति होती है इसमे कोई शक नहीं है. 
चलिए देखते हैं की कैसे हम महाबलशाली की कृपा प्राप्त कर सकते हैं आसानी से परन्तु उससे पहले जानते हैं की क्या क्या सावधानी रखना चाहिए हनुमान पूजा करने के दौरान.
  1. इस पूजा में या इनके कोई भी टोटका को करने में पवित्रता का धयान जरुर रखना चाहिए. 
  2. ब्रह्मचर्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए. 
  3. इनकी पूजा में रोट का भोग लगाया जाता है , लड्डू और चूरमा भी इनको पसंद है.
  4. गूगल की धुप जरुर देना चाहिए. 
  5. और पूजा से पहले श्री राम का ध्यान और आवाहन भी करना उचित होता है. 
  6. भक्ति से की गई साधना अवश्य सफल होती है. 
  7. आसन के बिना कोई भी पूजा न करे. 

आइये देखते है की कैसे आसानी से हम हनुमानजी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं :

  • हनुमान चालीसा का पाठ अगर रोज किया जाए विधिवत तो निश्चय ही सफलता प्राप्त होती है. 
  • बजरंग बाण का पाठ आवश्यक होने पर ही करना ठीक रहता है.
  • इसी प्रकार हनुमान अष्टक के साथ हनुमान चालीसा का पाठ बहुत ही अच्छा मन जाता है.
  • बहुत अधिक कष्ट होने पर हनुमान जी के मंदिर में दीपक जला के फिर उनकी 108 परिक्रमा करने पर शीघ्र ही शुभ फल की प्राप्ति संभव है.
  • शनि की अधिक पीड़ा होने पर शनिवार को हनुमानजी को चोला चढ़ा के १०० बार हनुमान चालीसा का पाठ बहुत बड़े विध्नो से भी छुटकारा दिला देता है. 
  • हनुमान जी के मंदिर मई सुन्दर काण्ड का पाठ करना भी बहुत शुभ मन जाता है .
  • जहां पर नित्य हनुमानजी की पूजा अराधना होती है वह पर कभी भी कोई अशुभता प्रवेश नहीं करती है , इसमे कोई संशय नहीं है. 
  • अगर नकारात्मक उर्जा बहुत परेशान कर रही हो तो उस समय उतारा करके सिद्ध हनुमान कवच  धारण करना बहुत लाभदायक होता है. 
  • पीपल के पत्तो की माला बनाकर अगर हनुमानजी को अर्पित किया जाए तो भी मनोकामनाए शीघ्र सिद्ध होती है. 
हनुमानजी पर किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव नहीं होता है अतः उनकी कृपा से कोई भी भक्त अपनी रक्षा कर सकता है.
जो स्वयं ज्ञान के भण्डार है , जिनमे विश्व की तमाम शक्तियां समाहित है, जो भक्तो के भक्त है, जो महाबली है, जो भक्तो का उद्धार करने के लिए तत्पर रहते है उन श्री राम की कृपा सबको प्राप्त हो


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Ratna Chikitsa In Hindi For Successful Life

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क्या है रत्न चिकित्सा, कैसे करे रत्न चिकित्सा, क्या फायदे हो सकते है रत्न चिकित्सा के, कैसे प्राप्त करे अच्छे रत्न, ध्यान रखने योग्य बाते.
रत्न चिकित्सा भारत के अन्दर अत्यंत प्राचीनकाल से चला आ रहा है जिसके अंतर्गत दिव्य रत्नों का प्रयोग करके रोगी को ठीक किया जाता है. 
ज्योतिष के अंतर्गत रत्नों का प्रयोग बहुत होता है ग्रहों को मजबूत करने के लिए, कई दोषों को दूर करने के लिए gems stones का स्तेमाल साधारणतः होता ही है. 
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ratn chikitsa jyotish me

रत्नों को हम उसके रंग के आधार पर पहचानते है साधारणतः और तकनिकी रूप से उसे जांचने के लिए डेंसिटी टेस्ट भी किया जाता है, आज अनेक प्रकार के ऐसे इलेक्ट्रॉनिक औजार बन गए है जिनके इस्तेमाल से रत्नों को पहचाना जा सकता है. इसीलिए बड़ी कंपनीज तो सर्टिफाइड रत्न भी प्रदान करते हैं. 
हालांकि सर्टिफाइड रत्न एक आम आदमी के जेब की सीमा से बहार ही होते है, इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है. 
ऐसे में उपरत्नों का इस्तेमाल लाभदायक रहता है. 

ज्योतिष और रोग :

ज्योतिष के अंतर्गत रोगों का उपचार भी किया जाता है ग्रहों को समझकर क्यूंकि ज्योतिष का ये मानना है की जो भी कुछ घटना घटित होती है उसके पीछे ग्रहों का प्रभाव पूरा होता है अतः रोगी का इलाज जितना डॉक्टर के द्वारा किया जाता है उतना ही ज्योतिष के द्वारा भी किया जाना चाहिए. 
अगर डॉक्टर और ज्योतिष दोनों की सलाह से इलाज किया जाए तो निश्चित ही रोगी बहुत जल्दी स्वस्थ होता नजर आता है इसमे कोई शक नहीं है परन्तु रोगी को अपने सलाहकार पर पूरा भरोसा होना चाहिए. श्रद्धा और विश्वास के अभाव में कोई इलाज असरकारक नहीं रहती.
अगर बिमारी समझ नहीं आ अहि है, अगर दवाइयां असर नहीं कर रही है तो ऐसे में ज्योतिष का जानकार व्यक्ति मददगार साबित हो सकता है. 
ऐसे कई किस्से सामने आये है जिनमे डॉक्टर्स बिमारी का पता नहीं लगा पा रहे थे परन्तु सिर्फ एक पूजा करने के बाद जब दुबारा जांच किया गया तो बिमारी का पता चल गया, कई लोग जिन के ऊपर दवाइयां असर नहीं कर रही थी उन्होंने कुछ पूजाए और दान की तो दवाईया का असर होने लगा. 
अतः हम किसी भी प्रकार से ज्योतिष के महत्व को नकार नहीं सकते हैं. 

रत्नों का प्रयोग करने से पहले क्या ध्यान रखे :

  • रत्न खंडित न हो इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए. 
  • रत्न चिकित्सा में सम्बंधित रत्न के साथ सम्बंधित धातु ही होना चाहिए, इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए. 
  • रत्नों को शुभ महूरत में ही धारण करना चाहिए.
  • रत्नों को धारण करने के लिए पेंडेंट या अंगूठी बनाई जा सकती है. कुछ विशेष दशाओं में या पूजाओ में यन्त्र में नग लगाके पूजा की जाती है. 
  • रत्नों को प्रयोग करने से पहले शुद्ध किया जाना किया जाना चाहिए, पूजा की जानी चाहिए.
  • किसी अच्छे साधू, ब्राह्मण के हाथो अगर लेके इसे धारण किया जाये तो भी बहुत शुभ परिणाम प्राप्त हुए है. 

आइये अब जानते है ग्रहों से सम्बंधित रत्न :

  1. सूर्य का रत्न है माणिक्य.
  2. चन्द्रमा का रत्न है मोती
  3. मंगल का रत्न है मूंगा
  4. बुध का रत्न है पन्ना
  5. गुरु का रत्न है पुखराज
  6. शुक्र का रत्न है हीरा
  7. शनि का रत्न है नीलम
  8. राहू का रत्न है गोमेद
  9. केतु का रत्न है लहसुनिया
इनके अलावा सभी के उपरत्न भी उपलब्ध है , जिनको भी रत्न चिकित्सा लेना हो वो अपने जेब के हिसाब से रत्न खरीद सकते है सलाह ले के. 
सही रत्न व्यक्ति को उर्जावान बनाते है, निरोगी बनाते है, धनवान बनाते है, संपन्न बनाते है.
रत्नों द्वारा आप बना सकते है अपने जीवन को समृद्ध , सुखी और शक्तिशाली.



क्या है रत्न चिकित्सा, कैसे करे रत्न चिकित्सा, क्या फायदे हो सकते है रत्न चिकित्सा के, कैसे प्राप्त करे अच्छे रत्न, ध्यान रखने योग्य बाते.
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